चकराता ब्लाक प्रमुख पद हेतु मचा सियासी घमासान
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‘प्रत्याशी’ भाजपा में, ‘बहुमत’ कांग्रेस के पास
चकराता विकासखण्ड का ब्लॉक प्रमुख पद ओबीसी महिला के लिए आरक्षित होने से अजीबोगरीब स्थिति बन गई है। मतगणना के बाद समीकरण उलझ गए हैं।
जौनसार-बावर की राजनीति दो बड़े सियासी घरानों के इर्द-गिर्द घूमती है। यहां कांग्रेस विधायक प्रीतम सिंह और भाजपा विधायक मुन्ना सिंह चौहान के बीच सियासी टकराव रहा है। जौनसार बावर परगने के चकराता ब्लॉक में ब्लॉक प्रमुख पद पर दशकों से कांग्रेस का कब्जा रहा है। जबकि कालसी ब्लॉक में प्रमुख पद पर बीते चार दशकों से मुन्ना सिंह चौहान का कब्जा बरकरार है।
प्रमुख पद के लिए पात्र दोनों ही पात्र प्रत्याशी भाजपा (मुन्ना चौहान) के खेमे के हैं। जबकि विजयी हुए अधिकांश सदस्य क्षेत्र पंचायत कांग्रेसी पृष्ठभूमि के हैं। वे प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह के साथ खड़े हैं। यानी प्रत्याशी भाजपा खेमे में हैं जबकि बहुमत का संख्याबल प्रीतम के पास।
पर्याप्त संख्या बल होने के बावजूद कांग्रेस के सामने इस बार प्रमुख बनाने की बड़ी चुनौती है। जबकि भाजपा इसका फायदा उठाने को सियासी जुगत में लगी है। दोनों सियासी दल ब्लॉक प्रमुख बनाने के लिए जोड़-तोड़ में लगे है। अब देखना यह है कि सियासी ऊंट किस करवट बैठता है।
चकराता का ब्लॉक प्रमुख पद ओबीजी महिला के लिए आरक्षित है। ब्लॉक में सदस्य क्षेत्र पंचायत के कुल 40 पद हैं। इनमें से सिर्फ एक सीट कुनैन ओबीसी महिला के लिए आरक्षित है। इस सीट पर भाजपा खेमे की निधि राणा ने कांग्रेस से जुड़ी रुची को 55 वोटों के अंतर से हराया। यानि सीट भाजपा के खाते में गई। इसके अलावा, महिला के लिए आरक्षित एक अन्य सीट खारसी में ओबीसी वर्ग की शिवानी मल और नीतू राणा ने चुनाव लड़ा। इसमें भी भाजपा खेमे की शिवानी मल को 84 मतों वे विजय हासिल हुई। अब स्थिति यह है ओबीसी वर्ग की जो दो महिलायें ब्लॉक प्रमुख का चुनाव लड़ने की पात्र हैं वे दोनों ही भाजपा के कैंप में हैं। जबकि सदस्यों की संख्या में लिहाज से देखें तो चाभी प्रीतम के पास है। मोटे तौर पर कहा जा रहा है कि कुल 40 सदस्यों में से कांग्रेस पृष्ठभूमि के 23 चुनाव जीते हैं। इधर, भाजपा के पास यह संख्या मात्र 17 है। साफ है कि बहुमत का जादुई आंकड़ा कांग्रेस के पास है जबकि ब्लॉक प्रमुख पद के पात्र दावेदार भाजपा में हैं।
ऐसी परिस्थिति में कांग्रेस पात्र क्षेत्र पंचायत सदस्य को अपने खेमे में लाना चाहती है जबकि भाजपा को बहुमत का आंकड़ा छूने के लिए चार सदस्यों की दरकार है। देखना दिलचस्प होगा कि आगे बाजी किसके हाथ लगती है।