बुग्यालों में अब ‘छानियां’ बनेगी गेस्ट हाऊस
UK Dinmaan
राज्य सरकार गांवों से बाहर निकलकर ऊंचे पहाड़ों पर बनी छानियों (घास-फूस के छत वाले मकान) तक होम स्टे योजना का विस्तार करने जा रही है। यह दिलचस्प सुझाव खुद मुख्य सचिव उत्पल कुमार की ओर से आया है। पर्यटन विभाग इस योजना का प्रस्ताव बनाने जा रहा है। जल्द ही इसे अमलीजामा पहनाया जायेगा।
पहाड़ी जिलों में स्थित गांव के लोग बरसात के मौसम में अपने पशुओं को चराने के लिये बुग्याल (पहाड़ का 9000 फीट से ऊंचाई वाला इलाका, जहां सिर्फ मखमली घास पाई जाती है) की ओर रुख करते हैं। गोवंशीय पशु, भैंस और घोड़े-खच्चर खुलेआम चरागार में चरते हैं और उनके मालिक अस्थायी व्यवस्था के तहत यहां बनाई गई छानियों में ही प्रवास करते हैं। बरसात के मौसम में लगभग चार माह के प्रवास के दौरान सर्दी शुरू होते ही ये पशुपालक अपने पशुओं समेत गांव वापस लौट आते हैं। उसके बाद ये छानियां खाली पड़ी रहती हैं। इन छानियों का इस्तेमाल रोजगार सृजन के लिये किया जा सके, इस पर शासन स्तर पर विचार चल रहा है।
बीते 15 नवम्बर को सचिवालय में आयोजित पर्यटन विभाग से सम्बंधित एक बैठक में मुख्य सचिव उत्पल कुमार ने अपनी ओर से यह सुझाव पर्यटन विभाग के अधिकारियों को दिया था। उसके बाद से पर्यटन विभाग इसकी रूपरेखा बनाने में जुट गया है।
फंस सकता है बुग्याल वाला पेंच
वहीं 2018 में हाईकोर्ट ने बुग्यालों में कैम्पिंग और रात्रि विश्राम पर पूर्ण रूप से रोक लगा दी थी। कोर्ट के इस फैसले से राज्य में चल रहा साहसिक पर्यटन व्यवसाय खासतौर पर ट्रेकिग की गतिविधियां प्रभावित हुई हैं। अब यह देखा जा रहा है कि कौन सी छानियां बुग्याल क्षेत्र से बाहर हैं और उसके अंदर। काश्तकार की खुद की भूमि पर और बुग्याल की परिधि से बाहर स्थित छानियां होम स्टे के दायरे में आ सकती हैं।
‘छानियों को होम स्टे योजना के तहत विकसित किये जाने का प्रस्ताव अच्छा है। इससे पहाड़ों पर स्थित छानियों को गेस्ट हाउस के तौर पर उपयोग हो सकेगा। इस मामले में हाईकोर्ट के आदेश को भी ध्यान में रखा जायेगा’।
सतपाल महाराज, पर्यटन मंत्री, उत्तराखण्ड।