वादे ही वादे, भाजपा के नये भारत की तस्वीर में?

UK Dinmaan

“आओ एक दूजे को खोल कर पढ़ते हैं आओ फासलों को कम करते है! पांच साल से बंद पड़े लिफाफा को एक बार फिर से खोलते हैं!”

याद कीजिए शत्रुघ्न सिन्हा का वो बयान जब उन्होंने कहा था कि भाजपा वन मैन शो और 2 मैन आर्मी वाली पार्टी बन गई है। आज भाजपा के 2019 लोकसभा चुनाव में जारी किये गये घोषणा पत्र में यह बात खुलकर सामने आई है।

2014 में ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ और ‘सबका साथ, सबका विकास’ भाजपा के घोषणापत्र का नारा था। चलिए आपको याद दिलाते है भाजपा के भाजपा के 2014 के घोषणा पत्र की जहां पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, राजनाथ सिंह सबसे ऊपर और उसके बाद नरेंद्र मोदी (प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार), अरुण जेटली, सुषमा स्वराज, शिवराज सिंह चौहान, वसुंधरा राजे, मुरली मनोहर जोशी और रमन सिंह की तस्वीर शामिल भी थी।

लेकिन अब की बार भाजपा से अपनी संकल्प पत्र में संकल्पित भारत, सशक्त भारत के नाम से अपनी पंचलाइन जारी की है। लेकिन सियासी सवाल यही से उठने शुरू हो गये कि वरिष्ठ नेता लालकृकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी के बिना कैसा सशक्त भारत। भारतीय जनता पार्टी के 50 पन्ने के अपने संकल्प पत्र के कवर पेज से लेकर अन्त तक सिर्फ और सिर्फ नरेंद्र मोदी छाये है। संकल्प पत्र में श्यामा प्रसाद मुखर्जी, दीनदयाल उपाध्याय और अटल बिहारी वाजपेयी को जगह तो दी गई लेकिन अन्तिम पेज पर।

अब बात करें घोषणा पत्र में छपे प्रधानमंत्री के संदेश की तो आने वाले पांच सालों को अहम बताते हुए लिखा गया है कि – उन्हीं के शब्दों में “2022 में हम अपनी आजादी की 75वीं वर्षगांठ मनायगें। इस देश के महान सपूतों ने अपना पूरा जीवन न्योछावर कर दिया ताकि हम आजादी की खुली हवा में सांस ले सकेें। उनके सपनों का भारत बनाना, आज हम में से प्रत्येक का दायित्व है।” यहां तो सब ठीक है लेकिन संदेह भाजपा की इस कथनी से ही पैदा होता है जहां भाजपा यह कहती है कि- “2047 में, हमारा राष्ट्र स्वतंत्रता के सौ साल पूरे करेगा। आइए हम सब मिल कर सोचे विचार करें कि 2047 तक हम कैसा भारत चाहते है। भाजपा अगले पांच वर्ष मे 2047 के भारत के नींव रखने की प्रतिज्ञा करती है। आइए अब हम सब मिलकर इस संकल्प को पूरा करने में जुट जाएं।” सवाल यही है कि भाजपा अगले पांच वर्ष में किस नये भारत की बुनियाद रखने जा रही है? कहीं भाजपा हिन्दू राष्ट्र की तरफ कदम तो नहीं बढ़ा रही है। आज देश जानना चाहता है कि आखिर वो कौन सी अतीत की बेड़ियां है जिनसे भारत जकड़ा हुआ था।

तीन साल बाद 2022 में ‘भारत राष्ट्र’ आजादी के 75 साल पूरे कर रहा है, देश समारोह मनाएगा, उसी के मद्देनजर भाजपा ने अपने चुनाव घोषणा-पत्र में 75 संकल्पों की बात कही है। बेशक भारत माता की जय, वंदे मातरम और जयहिंद के नारे ‘राष्ट्रीय’ हैं। लेकिन क्या यही राष्ट्रवाद है?

संकल्प पत्र में भाजपा ने इस बार बुनियादी मुद्दे रोजगार, काला धन, स्मार्ट सिटी, बुलेट ट्रेन को भुला दिया है। भाजपा ने अपने संकल्प पत्र में 2014 का ही राग अलापा है जैसे- कश्मीर में अनुच्छेद 370 और 35-ए को हटाना, समान नागरिक संहिता लागू करना, भगवान राम के मंदिर का निर्माण, नागरिक संशोधन बिल पारित करा कानून बनाना, अवैध घुसपैठियों से जुड़ा कानून आदि संकल्प 2014 और उससे पहले भी किए गए थे और 2019 में भी दोहराए गए हैं। 2019 में भाजपा के 75 संकल्प तो बहुत पुराने हैं।

भाजपा के संकल्प पत्र में शुरूआत पन्नों में भी झोल है यहां “130 करोड़ देशवासियों के सपनों का नया भारत” प्रधानमंत्री का संदेश पत्र अनुक्रमणिका में पांचवे पेज पर दर्शाया गया है जबकि वह छपा पेज नम्बर तीन पर है। जिससे समझा जा सकता है कि संकल्प पत्र बनाने में राजनाथ सिंह व उनके अन्य 12 सहयोगियों ने कितनी मेहनत की होगी।

यहां भाजपा ने सिर्फ 2014 के घोषणा पत्र को एक नये नाम ‘संकल्प पत्र’ के साथ एक नये कलेवर में जिसमें 130 करोड़ देशवासियों की बात करने वाले प्रधानमंत्री अकेले हाथ बाधें खड़े और भारतीय जनता पार्टी हासिए पर खड़ी नजर आ रही है, पेश किया है। ऐसे में बुनियादी सवाल यही है कि क्या 2014 की तरह ही 2019 में भी वादे ही वादे है भाजपा के नये भारत की तस्वीर में।

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