भाजपा पार्षद उम्मीदवार ने प्रदेश मुखिया की ईमानदारी पर खड़े किये सवाल
UK Dinmaan
प्रदेश में निकाय चुनाव अपने अन्तिम दौर व चरम पर है। प्रत्येक प्रत्याशी अपनी ताकत के साथ अपनी कर्मठता व ईमानदारी का सबूत जनता के बीच पहुंचा रहे है। चुनावी मैदान में खड़ा प्रत्येक खिलाड़ी पिछले पांच साल की उपलब्धियों व आने वाले पांच सालों की अपनी कार्ययोजनाओं को अपील के माध्यम से मतदाताओं तक पहुंचाने रहे है।
देहरादून के 83 नम्बर वार्ड में जहां चार पार्षद प्रत्याशी चुनावी मैदान में है। जिसमें दो राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस व भाजपा से है, तो अन्य दो उम्मीदवार भाजपा से बगावत कर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनावी मैदान में अपना भाग्य आजमा रहे है।
उत्तराखण्ड दिनमान द्वारा चुनावी मैदान में भाग्य आजमा रहे चारों प्रत्याशियों से उनके चुनावी पर्चे में दिये गये बिन्दुओं पर उनसे चर्चा की जिसकी संक्षिप्त रिपोर्ट प्रस्तुत –
कांग्रेस :
राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी ने इस बार युवा देवेन्द्र सती को चुनावी मैदान में उतार है। देवेन्द्र सती अपनी अपील में क्षेत्रीय की समस्याओं को प्राथमिकता देते हुए क्षेत्र की हर छोटी-छोटी समस्याओं को मतदाओं के सामने रखकर समस्याओं के निराकरण हेतु अपनी कार्ययोजना को प्राथमिकता दी है जैसे –
1. सभी मौहल्लों में विकास समितियां गठित करना।
2. नालियां व कूड़े निस्तारण हेतु योजना।
3. पथ प्रकाश की व्यवस्था व अन्य समस्याओं हेतु मोबाइल ग्रुप बनाकर शिकायत दर्ज करना इत्यादि।
4. बरसाते में पानी के निकास हेतु नालियां बनाकर छोटे-छोटे जल सोखते का निर्माण।
5. वरिष्ठ नागरिक/युवा/छात्र के लिए एक वाचनालय का निर्माण को अपनी प्राथमिकता में रखा है।
देवेन्द्र सती कांग्रेस के प्रत्याशी के रूप में एक नई ऊर्जा एक नई सोच के साथ इस बार मैदान में है। जिसकी झलक की बानगी उनकी चुनावी अपील में दिखाई पड़ती है।
पुष्पेन्द्र कटियार उर्फ चिम्पू :
जनता के लिए पुष्पेन्द्र कटियार अंजान नाम हो सकता, लेकिन ‘चिम्पू’ एक जाना पहचाना हर जगह नजर आने वाला चेहरा है।
चिप्पू पिछले कई सालों से भाजपा का झण्डा थामे क्षेत्रीय राजनीति में सक्रिय है। टिकट न मिलने के कारण पार्टी सेे नाराज चिप्पू निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनावी मैदान में अपने पिछले पांच सालों के कार्यों का लेखा-जोखा मतदाताओं के सामने रख रहे है। जिनमें उनके द्वारा अभी तक किये गये प्रमुख कार्य है –
1. नया गांव स्थित काली मन्दिर का नवीनीकरण।
2. दीप नगर मन्दिर के नवीनीकरण में सहयोग।
3. क्षेत्र में रक्तदान शिविर लगवाना व जरूरतमंदों को निःशुल्क रक्तदान की व्यवस्था करना।
4. क्षेत्र की संघर्षशील महिलाओं को सम्मानित कर उनका हौसला बढ़ाना।
5. गुरू राम राय इण्टर काॅलेज मोथरोवाला की रंगाई-पुताई व स्कूल को कम्प्यूटर वितरण इत्यादि।
पुष्पेन्द्र कटियार अपनी इन समाजसेवी उपलब्धियों के साथ वार्ड 83 को सुन्दर और एक आर्दश वार्ड बनाने का सपना संजोए हुऐ युवाओं व मातृशक्ति के साथ मैदान में मजबूती के साथ डटे हुए है।
अमित वर्मा (जाॅनी)
शांत स्वभाव के अमित वर्मा वार्ड नम्बर 83 के लिए एक नया नाम, नया चेहरा हो सकता है लेकिन काम के हिसाब से नहीं। अमित वर्मा वार्ड नम्बर 83 से भाजपा के प्रबल उम्मीदवार में से एक थे। भाजपा से निकट न मिलने के कारण नाराज होकर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में क्षेत्र में किए गये अपने कार्यों को लेकर जनता के बीच ताल ठोक के चुनावी मैदान में अपनी उपस्थिति दर्ज करवा चुके है, इनके द्वारा किए गये प्रमुख –
1. ”खाट पे बात’ सभा का आयोजन कर क्षेत्रवासियों की अधिकांश समस्या का समाधान।
2. क्षेत्र में नालियों की सफाई, फाॅगिग इत्यादि के कार्य।
3. प्राथमिक विद्यालय में फर्नीचर, फर्श की मरम्मत, पानी की टंकी उपलब्ध करना।
4. क्षेत्र में सफाई व्यवस्था में लगातार योगदान देना।
5. क्षेत्र में बुजुर्ग को बैठने के लिए जगह-जगह बैंच लगाना।
6. बंगाली कोटी चैक की लाइट व पानी का फव्वारे की मरम्मत इत्यादि कार्य।
7. सिद्धेश्वर मन्दिर में तथा मन्दिर मार्ग में स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था।
8. बंगाली कोठी मोथरोवाला रोड़ पर लगने वाले कूड़े के ढेर से लोगों को निजाद दिलवाना।
8. टूटी सड़कों को ठीक करवाने इत्यादि के कार्य
9.क्षेत्र में दिव्यांग जनों के लिए व्हीलचेयर उपलब्ध करवाना इत्यादि।
अमित वर्मा सामाजिक कार्य के साथ-साथ क्षेत्र की मूलभूत समस्याओं के निराकरण हेतु लगातार क्षेत्र में कार्यरत रहे। भवष्यि में अपने वार्ड को एक आर्दश वार्ड बनाने का सपना संजायें चुनावी मैदान एक सशक्त उम्मीदवार के रूप में है।
भाजपा:
‘दर्शन लाल बिंजोला’ एक बड़ा नाम होने के कारण भाजपा के उम्मीदवार है। वार्ड न. 83 में चुनाव मैदान में खड़े तीनों प्रत्याशी अपने द्वारा किये गये कार्यों व भविष्य की योजनाओं का खाका तैयार जनता के सामने रख रहे है।
वहीं भाजपा पार्षद उम्मीदवार के चुनावी पर्चे में क्षेत्रीय समस्यायों लेकर को चुप्पी साधी हुई है और न ही कोई नई कार्ययोजना को प्राथमिकता दी है। इनके द्वारा अपने चुनावी पर्चे में अपनी ईमानदार का रागा अलापा गया है। जो उन्हें की शब्दों में इस प्रकार है –
“आप सभी के लिए परिचित एवं भारतीय जनता पार्टी के का बहुत लम्बे समय से सक्रिय कार्यकर्ता हूं तथा एक भूतपूर्व सैनिक होने के कारण पार्टी के प्रति सैदव समर्पित, ईमानदार एवं सामान्य छवि का कार्यकर्ता हूँ।
यहां बात निकली है तो दूर तलक जायेगी, और जाहिर है सवाल भी उठेंगे और पूछे जायेंगे –
सवाल – क्या सिर्फ और सिर्फ भूतपूर्व सैनिक ही पार्टी के प्रति समर्पित और ईमानदार होते है?
सवाल क्या भाजपा के उम्मीदवार यह कहना चाहते है कि यदि मैं भूतपूर्व सैनिक नहीं होेता तो मैं ईमानदार नहीं होता।
यहां सवाल भाजपा के उम्मीदवार ने देश के प्रधान सेवक से लेकर प्रदेश मुखिया, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष, धर्मपुर विधायक विनोद चमोली व भाजपा के मेयर प्रत्याशी गामा की ईमानदार पर भी खड़े कर दिये है क्योंकि इनमें से कोई भी भूतपूर्व सैनिक नहीं है।
यहां मैं भाजपा उम्मीदवार व भूतपूर्व सैनिक की ईमानदार पर कतई शक नहीं कर रहा हूं। लेकिन सवाल भाजपा से जुड़े तमाम उन कार्यकर्ताओं का है, जो दिन-रात पार्टी का झण्डा थामे रखते है। सवाल भारत की उस ईमानदार जनता का है जो एक सैनिक के रूप में देश की सेवा नहीं कर पाते।
आपको बता दूं कि यह सवाल स्वयं मेरे द्वारा भाजपा के पार्षद प्रत्याशी दर्शनलाल बिंजोला के समक्ष भी रखा गया था कि –
सवाल – आप यह क्या संदेश जनता तक पहुंचा रहे हो कि “मैं एक भूतपूर्व सैनिक होने के कारण पार्टी के प्रति सैदव समर्पित, ईमानदार हूं”। यहां तो आप मेरी ईमानदार पर सवाल खडे़ कर रहे है क्योंकि मैं भूतपूर्व सैनिक नहीं हूं?
तो उनका जवाब सुनकर आपको हैरानी ही होगी- उनका यह कहना था कि यह मेरे द्वारा नहीं लिखा गया और न ये मैंने पढ़ा है। नाराजगी इस कदर की गुस्से में कहने लगे मैं तो अनपढ़ हूं तुम बुद्धिजीवी हो। लिख दो कि मैं ईमानदार नहीं हूँ , बेईमान हूँ।
नैतिकता की बात करने वाले आज इतने अनैतिक हो गये कि मेरे एक सवाल पर गुस्से से भाग खड़े हुए।
यहां भाजपा प्रत्याशी ‘बिना काम, बिना विजन’ के सिर्फ मोदी नाम की नैया में बैठ कर अपनी चुनावी वैतरणी पार करना चाहते है कि बस किसी तरह एक बार टप्पा लग जाय।
यहां अन्तिम सवाल क्षेत्रीय जनता से क्योंकि आखिरी फैसला आपको ही करना है? कि आपको कैसा पार्षद चाहिए
“पार्टी के प्रति समर्पित, या जनता के प्रति समर्पित“?
अन्तिम फैसला जनता का है।
इस बार मत दान नहीं, मत का प्रयोग करें।