बेनीताल बुग्याल निजी कब्जे की चपेट में, लगा निजी सम्पत्ति का बोर्ड

दून। बेनीताल उत्तराखंड के चमोली जिले में कर्णप्रयाग से मात्र 30 किमी की दूरी पर स्थित है। बेनीताल ताड़, देवदार के वृक्षों से घिरा यह हरी घास का ढलान से हिमालय की बर्फीली चोटियों का सुन्दर नजारा अपने आप में बेहद खूबसूरती लिए हुये है। लेकिन अफसोस बेनीताल के खुबसूरत बुग्याल को अतिक्रमण ने अपनी चेपट में ले लिया है। बेनीताल के खुबसूरत बुग्याल पर निजी सम्पत्ति का बोर्ड लगा दिया गया है।

“आरटीआई लोक सेवा” की टीम सैनिक शिरोमणि मनोज ध्यानी के नेतृत्व में ‘‘वृक्षाबंधन अभियान‘‘ के तहत बेनीताल में पहुंची थी।

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सैनिक शिरोमणि मनोज ध्यानी ने बताया कि हमारे संज्ञान में यह बात आई कि बेनीताल में पानी सूख गया है। “वृक्षाबंधन अभियान” के तहत बेनीताल के रिवाइवल के लिए ‘‘आरटीआई लोक सेवा‘‘ सरकार को क्या सुझा सकती है यह जानने बेनीताल में पहुंचा। उन्होंने कहा कि यहां का जो नजारा देखा वह उत्तराखंड के लोगों के लिए चिंतनीय है।

उन्होंने कहा कि प्रदेश की राजनीति गर्त में जा रही है, तो दूसरी तरफ उत्तराखण्ड की प्राकृतिक धरोहर ताल-बुग्यालों पर अवांछित निजी कब्जा हो रहा है। मनेाज ध्यानी ने बताया कि कब्जाधारी के हौंसले इतने बुलंद हैँ कि उन्होंने सरकारी सड़क को खोदकर बुग्याल में आगे जाने का रास्ता बंद कर दिया है। जिस ताल और बुग्याल को उत्तराखंड सरकार के वन विभाग , पर्यटन विभाग अथवा वहाँ की ग्राम पंचायत की सम्पत्ति होनी चाहिए था आज वह निजी हाथों में कैसे चली गई है, यह गंभीर जाँच और कार्यवाही का विषय है।

उन्होंने कहा कि मैं क्षेत्रीय ताकतों को याद दिलाना चाहता हूं कि बेनीताल में ही गैरसैण को राजधानी बनाने के लिए प्राण त्यागने वाले बाबा मोहन उत्तराखंडी आमरण अनशन पर बैठे थे, वहाँ पर उनकी स्मृति में जनस्मारक भी बना हुआ है।

बेनीताल को बचाने के लिए बेनीताल संघर्ष समिति गठित भी है। समिति के अध्यक्ष मगन सिंह जी ने बताया कि कर्णप्रयाग विधानसभा के पूर्व विधायक स्व. डॉ अनसुया प्रसाद मैखुरी जी और वर्तमान विधायक सुरेन्द्र सिंह नेगी जी – दोनों के संज्ञान में विषय भलीभांति रहा था। दोनों की ही बेनीताल संघर्ष समिति के कार्यक्रम में भागीदारी भी रही थी और उनके द्वारा आश्वासन भी दिए गए। परंतु बेनीताल -बुग्याल का निजी सम्पत्ति का दावा करने पर सभी की गंभीर चुप्पी संदेहास्पद स्थिति को जन्म दे रही है।

सैनिक सिरोमणि मनोज ध्यानी ने कहा कि उत्तराखंड की अवाम को जल्दी से जल्दी चेतने की आवश्यकता है अन्यथा आपके हाथ में झुनझुना बजाने के अलावा कुछ भी नहीं रहेगा।

“आरटीआई लोक सेवा” की टीम में पूर्व पार्षद रविन्द्र प्रधान, मदन भण्डारी आदि शामिल थे।

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