बन्द ठेकों से शराब गायब, अब निगरानी का आदेश
प्रदेश लाॅकडाउन के दौरान अंग्रेजी शराब व देशी के बन्द ठेकों से अधिकांश शराब बाहर निकालकर मनमाने दामों पर बेची जा चुकी है। प्रदेशभर में हुये इस कारनाम का देहरादून से प्रकाशित दैनिक समाचार नवोदय टाइम्स लगातार खुलासा करता आ रहा हैै। वहीं दूसरी तरह सरकार आंखों में पट्टी बांध बैठी है। जबकि पुलिस की कार्रवाई में आबकारी विभाग और शराब के ठेकेदारों के गठजोड़ से हुये करोड़ों के इस खेल का खुलासा हो चुका है।
ऐसे में आबकारी आयुक्त विभागीय निरीक्षकों को आदेश जारी कर ठेकों की सख्त निगरानी की हिदायत दे रहे हैं। खेल हो जाने के बाद जारी हुये आयुक्त के इस आदेश के औचित्य पर सवाल उठने लाजमी है।
लॉकडाउन अवधि में शराब के सील्ड ठेकों से कानून की धज्जियां उड़ाकर न सिर्फ शराब बाहर निकाली गईं बल्कि कई गुना दामों पर बेची भी गईं। ठेकेदारों और आबाकरी विभाग के कुछ कार्मिकों ने तस्करों के माफिक इस पूरे खेल को अंजाम दिया और चोरी-छिपे लाखों का माल करोड़ों में बेचा।
वहीं लॉकडाउन अवधि में प्रदेशभर में पुलिस अभी तक लगभग डेढ़ करोड़ रुपये की अवैध शराब पकड़ चुकी है जिसमें से अधिकांश लॉकडाउन अवधि में ठेकों से निकाली गई शराब है। हल्द्वानी, भीमताल, नैनीताल और सहसपुर में तो पकड़े गये आरोपियों ने पुलिस पूछताछ में ये तक बताया कि वे शराब कब और किन ठेकों से लाये थे।
साफ है कि सम्बंधित आबकारी निरीक्षकों की मिलीभगत से ठेकों की शराब ‘पार’ कराई गई। बावजूद आबकारी आयुक्त सुशील कुमार विभाग के दोषी कार्मिकों पर कार्रवाई करने के बजाय उन्हें बचाने का प्रयास कर रहे हैं। बीते 29 अप्रैल को सुशील कुमार ने सभी जिला आबकारी आयुक्तों को पत्र भेजकर ठेकों की सख्त निगरानी के आदेश जारी किये हैं।
बड़ा सवाल ये भी है कि प्रदेश के कई स्थानों पर पुलिस ने ठेकों से अवैध तरीके से निकाली गई शराब पकड़ी है लेकिन विभाग की ओर से सिर्फ रुड़की के आबकारी निरीक्षक को ही नोटिस जारी किया गया है। सवाल यह भी है कि आखिर आयुक्त अन्य संदिग्ध आबकारी निरीक्षकों को क्यों व किसके शह पर बचाना चाहते हैं।
लॉकडाउन की अविध में पुलिस द्वारा पकड़ी गई शराब
28 मार्च लालकुआं 6 पेटी
31 मार्च हल्द्वानी 13 पेटी
2 अप्रैल हरहद्वार 20 पेटी
11 अप्रैल नैनीताल 03 पेटी
22 अप्रैल पिथौरागढ़ 26 पेटी
26 अप्रैल रुड़की 167 पेटी
26 अप्रैल सहसपुर 200 पेटी
29 अप्रैल भीमताल 357 पेटी