बग्वाल (दिवळि) : अंध्यरो पर उज्यळो , निराशा फर आसा की जीत कु त्योवार

दीपावली, दीप + अवलि = दीपकों की पंक्ति। दिवळि दीयों क त्योवार च। दिवळि कातिक मैना क अमावस्या खूंणि मन्यें जांद। दिवळि अंध्यरा पर उज्यळो की, बुरै फर भलै क, अज्ञानता पर ज्ञान अर निराशा फर आसा क जीत कु त्योवार।

दिवळि (बग्वाल) सर्या देस कु त्योवार च। दिवळि कु त्योवार धनतेरस बटि सुरू ह्वै जांद।

हमरा धर्मग्रन्थों मा ब्वले ग्ये कि कातिक मैना म अमावस्या खुणि भगवान श्री राम चन्द्र जी 14 बरस बोणम रैंणा क बाद, राक्षसु कु सफचट कैकि रावण थैं मारिक अपड़ा देस अध्योध्या मा वापिस ऐ छायीं।

ऐ दिनबार खुणि अयोध्या क रैवासियोंन भगवान राम कु अयोध्या वापिस औंण फर सर्या अयोध्यम दीया जगे कि ऊंकु स्वागत सत्कार कै अर खुसी मन्यें। श्री रामाक स्वागत मा अयोध्या क रैवासियों न घ्यूं क दीया जगे। सर्या अध्योध्या कातिक क मैना मा अमावस्या क राति दीयों क उज्यळो मा नहें (नहा) ग्यें। तबि बटि भारत देस मा हर बरस उज्याळो क त्योवार दिपावळि मन्यें जान्द। दिवळि झूठ पर सच कि जीत कु त्योवार च। दीवळी सफै कु अर उज्याळो क त्योवार।

दिवळि कु सामाजिक महत्व:
ऐ दिन थैं साळ भर घौर मा धन-धान्य, जस अर शांति खुणि पूजा कैकि मन्यें जान्द। ऐ दिन मा घौर मा दीया जगे कि सर्या घौर मा उज्यळु कैकि घौर कु अंध्यरू थैं दूर भगयें जान्द अर रुप्यौं क देवी लक्ष्मी जी कु स्वागत कर्यें जान्द।

लक्ष्मीक पूजा:
दिवाळि क दिन लक्ष्मी मां क पूजा घौर मा हि न बल्कि दुक्नियों मा भि कर्यें जान्द। ऐ दिन व्रत धेरिक मां लक्ष्मी क पूजा कैकि हि खाणु खन्दन। बग्वाळ क दिन सबि मनखि एक दुसर थैं मिठै दिंदन।

पूजाकरण क विधि:
घौर मा लक्ष्मी जी क पूजा खूंणि पैळि सर्या घौर मा साफ सफै कैकि लक्ष्मी जी कु चितर लग्यें जान्द। व्यखुनी दा घौर मा भुड़ा-पकौड़ा अर खाणु बण्यें जान्द।
लक्ष्मी जी क फौटु क समिणि एक चौकी धैरिक मौळि बन्धण चैंद। जैमा गणेश जी अर लक्ष्मी जी मूर्ति मा स्थापित कैकि टीका लगाण चौंद। चौकी मा छ्वटा-छ्वटा दीया जगे कि पाणि, मौळी, चौळ, फल, फुळ अर धूप जगे की पूजा करण चैंद।

बग्वाळ क दिन दीयों क पूजा कु खास महत्व हूंदन। यां खूंणि थकुळा मा दीया रखण चैंदन। जैमा छ दीया चार मुखाक अर औरि छ्वटा-छ्वटा दीया थकुळों मा दीयों थैं जगे कि पाणि, रोली, खीळ-बताशा, चौंळ अर धूपळ पूजा करण चैंद। एक चौमुखा दीया गणेश जी अर लक्ष्मी जी समणि रखण चौंद अर औरि दीयों थैं घार क चर्या तरफां रखण चैंदन।

आप सब्यौं थैं बुरै फर भलै की, अज्ञान पर ज्ञान की जीत कु त्योवार बग्वाल कि बौत-बौत बधै।

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