बगैर बजट के चली बाबा की डोली, दान की राशि से चलाया काम

सरकार द्वारा देवस्थानम बोर्ड का गठन इसिलए किया गया था उत्तराखण्ड में चारों धामों की व्यवस्थाएं अधिक दुरुस्त हों और वहां यात्रियों को मिलने वाली सुविधाओं में भी इजाफा हो लेकिन धरातल पर स्थिति इसके उलट दिखाई दे रही है। बोर्ड गठन के बाद शुरुआती दौर में ही व्यवस्थायें लड़खड़ाने लगी हैं। समय पर इंतजाम नहीं किये जा रहे हैं। बजट की उपलब्धता है या नहीं, इस ओर किसी का ध्यान नहीं है। नौबत यहां तक आ गई कि बाबा केदार की उत्सव डोली ऊखीमठ से केदारनाथ रवाना करने में बजट की कमी आड़े आ गई। गनीमत रही कि ढूंढने पर बोर्ड के खजांची के पास दान की कुछ नगदी मिल गई जिससे काम चल गया।


हर साल कपाट खुलने से पहले बाबा केदार की उत्सव डोली जब शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ से रवाना होती है तो उससे पहले प्रबंधन इसके लिये अग्रिम बजट जारी करता है। इस बजट का इस्तेमाल पहले से केदारनाथ पहुंचे कर्मचारियों के रहने-खाने व अन्य व्यवस्थाओं के साथ ही उत्सव डोली के ऊखीमठ से केदारनाथ पहुंचने तक, रास्ते में होने वाले व्यय के लिये किया जाता है।

इस बार 29 अप्रैल को केदारनाथ मंदिर के कपाट खुलने हैं। निर्धारित मुहूर्त पर रविवार को उत्सव डोली ऊखीमठ से केदारनाथ के लिये रवाना हुई। इससे चार दिन पहले यानि बुधवार तक चारधाम देवस्थानम बोर्ड ने इसके लिये एडवांस बजट की कोई व्यवस्था नहीं की थी। बगैर बजट डोली रवाना कैसे होगी इसे लेकर असमंजस बन गया। इसी बीच राज्य मंत्री डा. धनसिंह रावत रुद्रप्रयाग के दौरे पर पहुंचे तो मामला उनके संज्ञान में लाया गया तो उन्होंने देवस्थानम बोर्ड के अधिकारियों से इसकी जानकारी ली। बताया गया कि बोर्ड के कोरम के अभाव में बजट स्वीकृत नहीं हो पाया है। विचार विमर्श हुआ तो मालूम चला कि बोर्ड के पास कुछ नगद राशि मौजूद है, जिससे काम चलाया जा सकता है। उसके बाद सभी ने राहत की सांस ली।

गौरीकुण्ड प्रवास में ही फंस गया था पेंच
उत्सव डोली ऊखीमठ से रवाना हुई तो पहला रात्रि प्रवास गौरीकुण्ड हुआ। गौरीकुण्ड में जीएमवीएन को उत्सव डोली के साथ चल रहे लोगों के खाने आदि का इंतजाम करने को कहा गया तो फिर भुगतान कौन करेगा इसे लेकर सवाल उठ गया। फिर किसी तरह व्यवस्थायें की गईं।

ऐसे में केदारनाथ के विधायक मनोज रावत का कहना है कि चारधाम यात्रा राजय सरकार की प्राथमिकता में ही नहीं। देवस्थानम बोर्ड ने न तो समय पर रावल को लाने की व्यवस्था और न ही बजट की। सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिये’।

जिला प्रशासन के पास इस मामले में बजट की व्यवस्था की जिम्मेदारी नहीं है। इस बारे में देवस्थानम बोर्ड ही कुछ बता पायेगा’।
मंगेश घिल्डियाल, डीएम, रुद्रप्रयाग

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