अस्थमा, लंबे समय तक हो सकता है घातक

यह फेफड़ों की घातक और लंबे समय तक चलने वाली बीमारी है, जिसके कारण सांस लेने के मार्ग में सूजन आ जाती है और यह रास्ता संकरा हो जाता है। अस्थमा के कारण घरघराहट, सीने में जकड़न, सांस लेने में तकलीफ और कफ की समस्या होती है। इस बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति को दर्द और सांस लेने में होने वाली तकलीफ के कारण जीवन नरक के समान लगने लगता है। कुछ अध्ययनों से पता चला है कि उचित पोषण न मिलने के कारण अस्थमा की तकलीफ हो सकती है। आज बहुत से लोग अस्थमा के उपचार के लिए आयुर्वेद का सहारा ले रहे हैं और इसके अच्छे परिणाम देखने को मिल रहे हैं। यदि आप भी अपने डाइट प्लान में सुधार लाते हैं, तो आपको भी निश्चित रूप से अच्छे परिणाम मिलेंगे। मोटापा और अस्थमा एक दूसरे से जुड़े हुए हैं और ऐसा पाया गया है कि यदि मरीज का वजन सामान्य रहे, तो अस्थमा का खतरा कम होता है। वजन बढ़ने के कारण भी अस्थमा अटैक बढ़ जाते हैं अतः अस्थमा के मरीजों के लिए हेल्दी डाइट लेना बहुत महत्त्वपूर्ण हो जाता है। आइए जानते हैं कुछ ऐसे आहार जो अस्थमा में फायदेमंद हो सकते हैं।

ताजे फल-
ताजे फल एंटीआॅक्सीडेंट और बीटा कैरोटिन का अच्छा स्रोत होते हैं और शोधकर्ताओं ने यह सि( किया है कि वे लोग जो बचपन में बहुत अधिक फल खाते हैं, उन्हें अस्थमा होने की संभावना बहुत कम होती है। कीवी और संतरा जैसे फलों में बहुत अधिक मात्रा में विटामिन सी और ई पाया जाता है। इस प्रकार के फलों से फेफड़ों में सूजन और जलन कम होती है।

ताजी और हरी पत्तेदार सब्जियां-
अस्थमा के मरीजों के लिए ताजी और हरी पत्तेदार सब्जियां बहुत लाभदायक होती हैं। इनमें बहुत अधिक मात्रा में विटामिन्स और फ्लेवोनाइड्स होते हैं, जो शरीर में मुक्त कणों को नष्ट करते हैं। ये मुक्त कण शरीर में पाए जाने वाले टॉक्सिंज होते हैं, जो अस्थमा को और अधिक बढ़ा सकते हैं।

सूखे मेवे-
सूखे मेवों में मैगनीशियम और विटामिन ई पाया जाता है अतः अस्थमा के मरीजों के लिए ये अच्छा स्नैक है। मैगनीशियम के कारण अस्थमा में होने वाली घरघराहट नहीं होती, जबकि विटामिन ई आपकी इम्युनिटी को बढ़ाता है। जो शरीर के ऊतकों को नुकसान पहुंचा कर उनमें सूजन पैदा कर सकते हैं

साबुत अनाज-
अध्ययनों से पता चला है कि साबुत अनाज के सेवन से बचपन में अस्थमा होने की संभावना 50 प्रतिशत तक कम हो जाती है।

दालें-
दालों में कैलोरी और फैट कम होता है और यह अस्थमा के लिए बहुत लाभदायक है। दालों में उच्च मात्रा में फाइबर पाया जाता है, जो शरीर में कोलेस्ट्राॅल को कम करता है। यह श्वसन में एलर्जी पैदा करने वाले बाहरी कणों को रोकता है। दालों में फैट को घोलने वाले कण पाए जाते हैं, जो अस्थमा के कारण होने वाले जुकाम और फ्लू के बैक्टीरिया को रोकते हैं।

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