ऑक्सीजन खूंणि जंत जोड़, यांकु जिम्मेबार कोच्च?
देश मा ऑक्सीजन थैं लेकैकि हाहाकार मच्यूँ च। कोरोना से पीड़ित मनखियों ऑक्सीजन नि मिळण क कारण रोज म्वरणा छन। राज्य सरकार एक-दुसर राज्यों पर ऑक्सीजन क गाड़ियों थैं रोकणा क आरोप लगाणि च। जै कारण से दिल्ली हाई कोर्ट थैं ब्वळण प्वड़ा कि केन्द्र सरकार अर राज्य सरकारन या कै भि सरकारी अधिकारिळ ऑक्सीजन थैं रोकणा क कोशिश कायी त हम वैथैं लटकैं द्यूळा।
ऑक्सीजन जीवन दींण वळि हवा च। उन्न त ऑक्सीजन हमथैं फ्री मा मिल्दी। लेकिन आज हमथैं फ्री मा मिळणवळी हवा खूंणि कोर्ट क द्वार खटखटौंण प्वड़ना छन।
अब अगर हम उत्तराखण्ड क बात करदौं त आज हि एक बड़ा अखबार मा पैंळु पन्ना मा खबर छपी च ऑक्सीजन क कमी ळ रूड़की एक अस्पताळ मा 5 ळोग मौंरिग्यीं। या खबर जरूरी ऐळे च कि हमर प्रदेश में रूड़की वा जगह च जख सबसे जादा ऑक्सीजन बणंणिं च। अर ऐ अस्पताळ मा पिछळ वृहस्पतिवार मा भि ऑक्सीजन कम हूंण क कारण 50 से जादा मनखियों का सांस अट्टिक ग्यायी छायीं। तब प्रशासन ळ ऑक्सीजन मंगेकि अस्पताळ मा मनखियों जिन्दगी बचैं।
अब ऐ ही अखबार मा दूसर पन्ना मा खबर च जख मा भाजपा प्रदेश अध्यक्ष श्री मदन कौशिश जी ब्वाना छन कि प्रदेश मा ऑक्सीजन क कुईं कमी नि च। अर प्रदेश में ऑक्सीजन कमिळ कुई मौत नि ह्वै। उन्न ब्वाळ कि हमन अधिकारियों थैं साफ बोळीयाळ कि ऑक्सीजन मंगण वळा अस्पताळु थैं 24 घण्टा मा ऑक्सीजन मिळजाण चैंद। ऐ अखबार मा खबर ईंन भि च कि पाळिका पार्षद न बटिंन ऑक्सीजन सिलेण्डर। लेकिन पार्षद साहबळ कै-कै थैं अर कख-कख ऑक्सीजन सिलेण्डर बटिंन कुछ पता नि।
त गढ़वाळ श्रीनगर मा अखिळ भारतीय विद्यार्थी परिषद क विद्यार्थी मोटरसैकळ मा ऑक्सीजन सिलेण्डर लेकैकि इन घुमणा छन, जन कै जमना मा हम गैस सिलेण्डर लेकैकि शान से लैन मा लग्यां रैंद छायी।
आज मदन कौशिक जी रूकड़ी क अस्पताळक सच थैं, अपड़ा झूठ से ढ़कणाक कोशिश करणा छन। या समझण का बात च। आज आप न त सरकारक प्रवक्ता छन अर न हि सरकार मा मंत्री छन, त फिर किळै सरकार थैं बचाण कोशिश करणा छौं। जबकि हूंण त इन चैंणु छायी कि मदन कौशिक जी आप सरकार थैं सिलेण्डरों क बटणां क व्यवस्था अपड़ा हाथुं मा लिंणा खूंणि बोल्दा। अर ब्वळदा कि ऑक्सीजन सिलेण्डर सिर्फ अर सिर्फ अस्पताळ मा बीमार मनखियों थैं हि मिळण चैंद। न कि कै पार्षद अर विद्यार्थी परिषद थैं।
लेकिन मदन कौशिक जी जै सरकार थैं तुम बचौंण कोशिश करणा छौं न वीं सरकारक त तुमरा कैबिनेट मंत्री न हि चिथणा-चिथणा कैरि दीं। याद कारा जब माननीय हरक सिंह रावतत जी, सरकारक कैबिनेट मंत्री थैं अपड़ा भण्जु खूंणि अस्पताळ मा जगा नि मिळी। तब असहाय कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत थैं मजबूरी मा पैळि बार ब्वन प्वाड़ कि जब म्यार ब्वन पर अस्पताळु मा एक भि बिस्तरा खानी नि मिळी त या सै समझे जै सकद कि आम आदमी का क्या हाळ होव्ळा। ऑसीमीटर थैं लेकैकि हरक सिंह रावतन अस्पताळ मा क्या हल्ला मचैं सब्बि जंण्दा छन।
त मदन कौशिश जी ऐ बगत मा अंग्वके रावा, अब तुम अब सरकारी प्रवक्ता नि छौं। अब तुम अपड़ा खोल्ळ (कवर) मा रावा। वै से भैर ऐळा त कोरोना बैठ्यिूं च। भैर ऐळा त पता चैळि जाळु ऑक्सीजन कीमत।
आज जब सर्या देश कोरोना से लड़ै लड़णु च। तब पता चळणु च ऑक्सीजन त प्राण दींण वळि हवा च। जब तक हवा च जिन्दगी क घड़ी टकटक करणी च, हवा बन्द त जिन्दगी घड़ी बन्द ह्वै जान्द।
आज जब अपड़ों क सांस बचाणा खूंणि ळोग अपड़ु पूरू जोर लगाणा छन कि कन्न कै भि ऑक्सीजन सिलेण्डर मिळ जावा बस।
तब सबसे बडु़ सवाळ हि यौं च आखिर जिन्दगी क ई घड़ी थैं चलौंण वळी ऑक्सीजन देंणा क जिमेबारी आखिर कैकि च? क्या अपणी ऑक्सीजन क इंतजाम हमथैं अफ्फि करण प्वड़ळु? अगर इन्न च त फिर या व्यवस्था अर सरकार आखिर कै खूंणि छन?
देश मा आज ऑक्सीजन थैं लेकैकि जन हाळात छन वै से इन्न लगणु च कि भोळ हमथैं अपड़ि सांस कु हिसाब-किताब अफ्फि रखण प्वड़ळु। अर प्राण वायु क सिलेण्डर लेकैकि चलण प्वाड़ळु। झणिं कब अर कख जरूरत पोव्ड़ि जाळी। क्या अब हमथैं सोचण प्वाड़ळु अर ऑक्सीजन मा आत्मनिर्भर हूंण प्वाड़ळु, नथर इन्न न हो कि अपड़ा म्वरड़ा का जिमेदार हम अफ्फि रौळा ।