एयर कंडीशनर बना सकता है आपको बीमार
चिलचिलाती गर्मी और पसीने से राहत पाने के लिए लोग एयर कंडीशनर का सहारा लेने लगे हैं। लेकिन इंसान की यह जरूरत अब लत बनने लगी है। घर, आफिस और कार सब कुछ एयर कंडीशनर हो चुका है। क्या आप भी उन लोगों में से हैं, जो एसी वाले आफिस में काम करके खुद को खुशनसीब समझती हैं? क्या आप जब घर में होती हैं, तो उस वक्त भी एसी ऑन ही रहता है और आप ठीक उसके सामने बैठना ही पसंद करती हैं? अगर आप ऐसा करने वालों में से हैं, तो आपको बता दें कि ऐसा करना खतरनाक हो सकता है।
एक अध्ययन में पाया गया है कि भले ही लोग एसी को लक्जरी लाइफस्टाइल से जोड़कर देखते हो लेकिन सच्चाई ये है कि एसी में 24 घंटे बैठे रहना सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है। बीते कुछ समय में एसी का इस्तेमाल अचानक से बढ़ गया है।
गर्मियों में प्रदूषण और ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से धरती का तापमान इतना अधिक हो जाता है कि एसी के बिना काम भी नहीं चलता। रही बात आफिसों की तो आज के समय में ज्यादातर दफ्तरों में एसी लगा ही होता है। ये मूलभूत जरूरत हो चुकी है। पर सोचने वाली बात है कि एक आर्टिफिशियल टेंपरेचर में बहुत देर तक रहना किस हद तक खतरनाक हो सकता है, इस ओर कभी भी हमारा ध्यान ही नहीं जाता है। इस टेंप्रेचर के बदलाव का सबसे बुरा असर हमारे इम्यून सिस्टम पर पड़ता है। अगर आपको लगता है कि आप अक्सर ही बीमार पड़ने लगे हैं, तो हो न हो आपकी इस आदत ने आपके इम्यून सिस्टम को कमजोर कर दिया है।
एसी के सामने ज्यादा वक्त तक बैठने से ये हो सकती है स्वास्थ्य समस्यायें –
साइनस की प्राब्लम- जो लोग एसी में चार या उससे अधिक घंटे रहते हैं, उनमें साइनस इन्फेक्शन होने की आशंका बहुत बढ़ जाती है। दरअसल बहुत देर तक ठंड में रहने से मांसपेशियां सख्त हो जाती हैं।
थकान- अगर आप एसी को बहुत लो करके सोते हैं या उसके सामने बैठते हैं तो आपको हर समय कमजोरी और थकान रहने लगेगी।
वायरल इन्फेक्शन- बहुत अधिक देर तक एसी में बैठने से फ्रेश एयर सर्कुलेट नहीं हो पाती है। ऐसे में फ्लू, कॉमन कोल्ड जैसी बीमारियां होने का खतरा बहुत बढ़ जाता है।
आंखों का ड्राई हो जाना- एसी में घंटों बिताने वालों में ये प्रॉब्लम सबसे ज्यादा आम है। एसी में बैठने से आंखों ड्राई हो जाती हैं।
एलर्जी- कई बार ऐसा होता है कि लोग एसी को टाइम टू टाइम साफ करना भूल जाते हैं, जिससे एसी की ठंडी हवा के साथ ही डस्ट पार्टिकल भी हवा में मिल जाते हैं। सांस लेने के दौरान ये डस्ट पार्टिकल शरीर में प्रवेश कर जाते हैं, जिससे इम्यून सिस्टम पर असर पड़ता है