आखिर कसूरबार कु छन ? यांकु जवाब कु देळु ?
साल 2012 मा छावला, दिल्ली मा उत्तराखण्ड क नौनि क दगड़ मा हूंया गैंगरेप अर कतल क मामला मा सुप्रीम कोर्टन सुप्रीम फैसळा सुण्यें अर तिन्या कसूरबारु थैं ऐ मामला मा बरी कै दे। यां से पैळि ऐ मामला मा जिला कोर्टन तिन्यौं थैं फॉसिक सजा सूण्यें छायीं। ऐ मामला मा तिन्यौं थैं दिल्ली हाईकोर्टन भि फॉसीक सजा हि सूण्यें छायीं।
तिन्या कसूरबारु न छावला मा रैंण वळि 19 बरसक उत्तराखण्डक नौनि कु कतल कै छायीं। फरवरी 2012 मा अपड़ा काम फर जाणा क बाद जब ब्यखुनी दा वा घौर नीं ऐ तब वींक कुटुम्दरि न वींक खोज कायी पर क्वीं पता नि चलि। बौत ख्वजणा क बाद इतगा खबर मिळि कि कुछ ळोग लाल रंगाक इंडिका गाड़ि मा वींथैं दिल्ली बटि भैर लिग्यीं। त वखि द्वी दिन बाद नौनि क लाश हरियाणा क गन्नौं क पुगड़ा मा मिळि। तिन्यौं न नौंनि थैं मारि-पिटि हि नीं च, उंकी दगड़ मा द्वि दिन तक गैंगरेप कायी। उंका आंख्यिों मा तेजाब अर सर्या शरैळ फर गरम पाणि भि डाळि। यु सबूतों क अधार फर जिला कोर्ट न तिन्या कसूरबारु थैं फॉसिक सजा दे छायीं। दिल्ली उच्च न्यायालन न भि यु सबूतों क आधार फर हि तिन्यों क सजा थैं फॉसिक सजा दे।
उच्च न्यायालय क तिन न्यायाधीशु क खण्डपीठ न बोलि कि अभियोजन पक्ष कसूरबारु कु खिलाफ कसूर थैं सिद्ध नि कै साकु। ई वु कारण च उच्च न्यायालय तिन्या कसूरबारू थैं छोड़ि दे।
उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूति यूयू ललति, न्यायमूर्ति रवीन्द भट्ट अर न्यायमूर्ति बेला त्रिवेदी क खण्डपीठ न फैसला लेखि कि यु सै च कि कसूरबार छुट्टि ग्यीं। यु समाज अर खास कैकि नौनि क कुटुम्दरि खूंणि बौत पिड़ा देंण वळु च पर अदालत शक क आधार फर कै थैं भि सजा नीं दे सकदि।
फैसळा सुप्रीम कोर्ट कु च, इल्लै ऐ फर कुछ भि ब्वनु ठीक नीं च। हां सुप्रीम कोर्टक ऐ फैसळा न उत्तराखण्ड क रैवासी थैं झंजोड़ि दे अर बौत सर्या सवालु थैं भि पैदा कै दे।
उत्तराखण्ड आज एक बेटी अंकिता थैं निसाब (इंसाफ) दिलौंणा खूंणि सड़क्यिों मा च। इन्ना सुप्रीम कोर्ट कु फैसलान उत्तराखण्ड मा अंकिता थैं निसाब दिलौंणा वळा सामाजिक संगठनु क हिमकत (हिम्मत) थैं भि त्वड़ण वलु च। सवाल अब दिल्ली पुलिस हि न, सवाल जिला कोर्ट अर उच्च न्यायायल पर भी छन। आखिर किलै तुमन तिन्यों कसूरबारु थैं बिना सबूतक फॉसीक सजा दे या सवाल यौं भि च कि क्या सर्या सबूत झूठा छायीं?
हां यु सच च कि कै थैं भि बिना कसूरक सजा नीं हूंण चैंद पर यो भि सच च कि सच त समणि आण चैंद अर क्वीं भि कसूरबार कतई नीं बच्ण चैंदन।
अब जब सुप्रीम कोर्टन तिन्यां कसूरबारू थैं बरी कै दे त, इन्न मा बडु सवाल हि यों च कि छावला गैंगरैप क कसूरबार कु छन अर कख छन? यु कन्नु निसाब च? जख 10 साल जग्वाळि करणा क बाद नौनि क ब्वे-बुबा जिकुड़ि मा निसाबा क छ्पछपि प्वड़ण चैंद छायी वख वु थैं जिन्दगि भरक सजा मिलिग्यें। आखिर यांकु जवाब कु देळु?