हल्दी के ओैषधीय गुण
“हल्दी में विटामिन, मिनरल्ज, फाइबर और प्रोटीन होता है, जो हल्दी को एंटी इंफ्लेमेंटरी, एंटी ऑक्सीडेंट, एंटी फंगल, एंटीसेप्टिक और कैंसर विरोधी घटक बनाने का काम करते हैं।”
हल्दी एक भारतीय मसाला है, जिसका इस्तेमाल लगभग घर में खाने का टेस्ट बढ़ाने के साथ-साथ स्किन की कई प्राब्लम दूर करने के लिए भी किया जाता हैं। हल्दी में विटामिन, मिनरल्ज, फाइबर और प्रोटीन होता है, जो हल्दी को एंटी इंफ्लेमेंटरी, एंटी ऑक्सीडेंट, एंटी फंगल, एंटीसेप्टिक और कैंसर विरोधी घटक बनाने का काम करते हैं।
हल्दी का इस्तेमाल जहां चेहरे की रंग निखारने में होता है, वहीं हल्दी स्वास्थ्य संबंधी परेशानी को दूर करने में कारगर होती है। इसके अलावा हल्दी एक दर्द निवारक औषधि भी हैं, जिसका इस्तेमाल सदियों किया आता जा रहा है। शरीर पर कहीं चोट लग जाए, तो हल्दी का लेप भी किया जाता है। इसके अलावा हल्दी आस्टियो अर्थराइटिस, रयूमेटायड अर्थराइटिस, गठिया, मांसपेशियों में दर्द, पोस्ट आपरेटिव दर्द और फाइब्रोमाल्जिया से जुड़े दर्द से छुटकारा पाने में मदद करती है। हल्दी में मौजूद कर्कुमिन नामक तत्त्व होता है, जो दर्द को दूर करने में मदद करता हैं। हल्दी का इस्तेमाल आप अपनी रूटीन लाइफ में किसी भी तरह जैसे हल्दी चाय या हल्दी दूध और हल्दी के पानी के रूप में कर सकते है।
आस्टियोअर्थराइटिस:
आस्टियोअर्थराइटिस की बीमारी चिकने ऊतकों ;जो हड्डियों के जोड़ को ढकते हैंद्ध को नुकसान पहुंचाती है। इस बीमारी में हड्डियों के जोड़ का किनारा बढ़ जाता है, जिस वजह से हड्डी या जोड़ के टिश्यू टूट सकते है और दर्द की शिकायत रहती है। आस्टियोअर्थराइटिस एक गठिया रोग की तरह होता है, जो केवल जोड़ो को प्रभावित करता है। ऐसे में हल्दी का अर्क इस समस्या में काफी फायदेमंद साबित होता है।
रूमेटाइड अर्थराइटिस:
रूमेटाइड अर्थराइटिस एक प्रकार का गठिया है, जो यूरिक एसिड के बढ़ने के कारण होता है। इस बीमारी में मरीज की अंगुलियों, कलाइयों, पैरों, टखनों, कूल्हों और कंधों में दर्द और सूजन रहने लगती है। हल्दी में मौजूद कर्कुमिन एंटीऑक्सीडेंट इससे छुटकारा दिलाने में काफी कारगर है। हल्दी एक प्राकृतिक औषधि भी है।
गठिया:
गठिया दर्द की शिकायत अधिकतर लोगों को रहती है, जो सर्दियों में और भी बढ़ जाती है। हल्दी में मौजूद कर्कुमिन तत्त्व गठिया दर्द को दूर करता है और सूजन की शिकायत भी कम होती है
मांसपेशियों में दर्द
ज्यादा एक्सरसाइज और बिना एक्सपर्ट के वर्कआउट करने की वजह से अकसर मांसपेशियों में दर्द रहने लगते है। कई बार तो हड्डी टूटने का भी डर बना रहता है। शोध का मुताबिक, व्यक्ति के लिए डेली रूटीन में वर्कआउट से पहले कर्कुमिन सप्लीमेंट लेना बहुत जरूरी है। इसके अलावा अपनी रूटीन लाइफ में हल्दी वाला दूध या चाय को शामिल करके किसी वर्कआउट संबंधित दर्द और सूजन से बचा जा सकता है।
फाइब्रोमायल्जिया:
फाइब्रोमायल्जिया के कारण पूरे शरीर में दर्द और थकान महसूस होती रहती है, जिसकी शिकार ज्यादातर महिलाएं होती हैं। फाइब्रोमायल्जिया का दर्द दूर करने के लिए कर्कुमिन तत्त्व काफी कारगर साबित होता है। एक शोध का मानना है कि कर्कुमिन की मात्रा लेने से 24 से 48 घंटों के भीतर फाइब्रोमायल्जिया के दर्द से राहत पाई जा सकती है