मलिन बस्तियों थैं एकदा दुबरा मिल ग्याई जिंदगि
धामी सरकारळ एकदा दुबरा मळिन बस्तियों थैं 2024 तक जिंणा कू अधिकार दे द्यायी। मळिन बस्तियों वळों थैं अपडु हक दैंणा खुंणि राजनेताओं पैळि मि पैळि मि कन्ना छन या बात कखि लुक्ईं नि च। 2017 मा कांग्रेस त अब भाजपा सरकार भि ऊंई ळैन पर चलणि च। चार साळ पैल्यक मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावतन बस्तिवळों थैं हक देंणा कु फैसळा कैरिं छायीं, त ऊईं ळैन पर हि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी न भि अपड़ा खुट्ठा धैर यळि। उन्न एक नि, द्वी नि, तीन साळ खूंणि बस्तियों थैं त्वड़न पर रोक लग्गै द्यायी। कारण साफ च प्रेदस मा चुनौ ‘धै’ लगाणू च अर चुनौ क् धै मुख्यमंत्री न सूंणि याळी।
चुनौं मा कांग्रेस मळिन बस्तियों क ऐ मुद्दा थैं हब्वा देंणा क कोशिश करदि यां से पैळि हि मुख्यमंत्री धामी न छक्का लग्गें द्यायी। उन्न कैबिनेट मा निकाय प्राधिकरण क प्राविधान अधिनियम 2018 मा सुधार कायी अर 3 साळ क बगद थैं बढ़ै कि 6 साळ कैरि द्यायी अर एकदा दुबरा मळिन बस्तियों थैं टूटण से बचै द्यायी। 2018 मा कोर्ट आदेश का बाद इन्नु लग्णु छायी कि मळिन बस्ती अभि टूट दी बस। तबि त्रिवेन्द्र सरकार ळ अपणु संवैधानिक अधिकार प्रयोग कायी अर मळिन बस्तियों थैं टुटण से बचै द्यायी। अक्टूबर मैना मा 3 साळों क बगत खतम हूंण च, बस्तियों कुईं कार्रवै हूंदि यां से पैळि हि मुख्यमंत्री धामी ऐ बगत थैं 3 साळ खूंणि औरि बढै़ द्ये।
सवाळ यूं हि च यू सब चुनौं से पैळि अर तीन साळ खूंणि किलै? साफ बात या च अपणु फैदा अर अपुण वोट बैंक, 2022 विधान सभा चुनौं अर 2024 लोकसभा चुनौं खूंणि सरकारळ मळिन बस्तियों थैं एकदा दुबरा जिंदगि देे द्यायी। ऐ फैसळाळ जख अवैध मळिन बस्तियों मा रैंण वळा मनखियों थैं खुशी जरूर मिळळि, अर कतगा हि मनिखियों थैं रुप्या कमाणा का मौका। लेकिन सवाळ यों च कि आखिर कोर्ट की अवमानना अर अवैध बस्तियों थैं वोट क खातिर इन्न मौका कब तक अर किलै?