स्वतंत्रता दिवसौ मतलब अंग्रेजी राज से मुक्ति ही नि छयो . . .
सदाने तरां एक पन्द्रा अगस्त औरि बीतिग्ये। पन्द्रा अगस्त जै दिन का खातिर असंख्य ज्ञात-अज्ञात वीर शहीद ह्वैंन। देशैं आजादी बान अंग्रेजी हुकूमत का खिलाफ निहत्था लोगोंन लणै लड़े। अन्याय भ्रष्टाचार अर शोषण का खिलाफ आम जनता तैं जागरूक व एकजुट करे अर हंसदा-हसंदा अपणा प्राण निछावर कैरिं दां। पन्द्रा अगस्त, स्वतंत्रता दिवसौ मतलब अंग्रेजी राज से मुक्ति ही नि छयो। यां को मतलब छयो अपणो राज, जनतौ राज, जनतौ राज अर जनतै भलाई का वास्ता राज।
आजादी का बाद देशन चौतरफा उन्नति करें। भारत एक विश्व शक्ति का रूप मा पछ्यण्येण लैग्ये। विज्ञान, कृषि, चिकित्सा, आत्मनिर्भरता का क्षेत्र मा देश काफी आधुनिकतम तकनालॉजी अर विकास का नयां-नयां रूप-रंग-ढंग से आजादी को अर्थ बिंगण मा आंण लग्यूं छ। लगातार विकास का नया कीर्तिमान बणणा छन। लेकिन आजादी का बाद सामाजिक विषमताओं मा बी उन्नि बढ़ोत्तरी होंण लगीं छ। अमीर औरि अमीर अर गरीब औरि गरीब होणा छन। भ्रष्टाचार घूसखोरी, दलाली, भाई-भतीजावाद मा लगातार बढ़ोत्तरी होणी छ।
देश का शासक वर्ग (राजनेता व अफसरों) का चरित्र मा लगातार गिरावट आणी छ। सामाजिक असन्तोष मा बढ़ोत्तरी होणी छ। समाज खण्ड-खण्ड ह्वैग्ये। जाति-धर्म का नौं पर व्यावसायिक राजनेता समाज तैं बंटण पर लग्यां छन।
वोटै राजनीति सर्वोपरि ह्वैग्ये। कुर्सी याने सत्ता पर कब्जा कना वास्ता तमाम हथकण्डा इस्तेमाल करेण्या छन अर यां की परम्परा ही बणण लैग्ये।
सामाजिक विषमताओं से बढ़णू असन्तोष बेरोजगारी की भीषण समस्या पर चौछ्वड़ि राजनितिक चश्मा को इस्तेमाल होण सै देशै प्रगति अर विकास दुष्प्रभावित होंण लग्यूं छ। राष्ट्रीय, प्रादेशिक अर स्थानीय स्तर पर माफियावाद से समरथ को नाहि दोष गुसाईं की भावना मजबूत होंणी छ। आदर्श अर भाषण सिर्फ उपदेश देणैं छ्वीं बणि गैन। राजनीति का चश्मा से लोक कल्याण ना बल्कि अपणो अर अपणौ को कल्याण कनो प्रमुख कर्त्तव्य अर धर्म बणिग्यें।
कै देशै आजादी का पिच्चत्तर बरस कम नि होंदा। अगर देश का शासक आम जनतैं समणि अपणा शुद्ध साफ-सुथरा जीवन अर कार्यकलापों को उदाहरण पेश करीं त निश्चित रूप से जनता वां को अनुसरण कारली अर तब आजादी, पन्द्रा अगस्त अर स्वतंत्रता आंदोलन का अमर शहीदों का बलिदानै सार्थकता सिद्ध ह्वे सकद।
साभार – गढ़वाळै धै