‘वृक्षारोपण’ क दगड़ा-दगड़ि हमथैं ‘वृक्षाबंन्धन अभियान’ थैं भि जिंदगि कु हिस्सा बणाण प्वाड़ळु
‘धरति’ हमथैं बौत कुछ दींद, अर वु सब्बि हमरि जिंदगि खूंणि बौत जरूर छन। ज्यूणा खूंणि ऑक्सीजन, पाणी, अर खाणा खूंणि हमथैं सब्बि कुछ या धरति हि दींद। जरा स्वाचा अर विचार कारा कि अगर हमथैं यू सब नि मिळाळु त् हमरि जिंदगि कु क्या ह्वाळु?
अबि बरखा क दिन छन। अर देस मा बौत संस्था अर ळोग डाळ लगाणा मा लग्यां छन। लेकिन डाळा लगाणा क बाद ऊंकु क्या हून्द, कुईं नि जण्दु? डाळा जमणा छन यां थैं देय्खणा कु कै भि मनिख मा बगत नि च। डाळों खूंणि पाणि जिंदगि च, डाळों मा भि ज्यूं हून्द। इळै हि हमथैं डाळौं लगाणा क दगड़ मा ऊंथैं बचैंणा क संकल्प भि लिंण चैंद। अब हमथैं डाळा लगौंणा क दगड़ मा ऊथैं बचाणा क् जिमेदारि भि लिंण प्वड़ाळि। यां खूंणि हमथैं डाळ लगाणा क दगड़ मा ‘वृक्षाबन्धन अभियान’ थैं प्रोत्साहन दिंण प्वाड़ळु। आरटीआई लोक सेवाळ डाळों थैं बचाणा खूंणि 2009 मा वृक्षाबन्धन अभियान शुरू कै छायी। ‘वृक्षाबन्धन अभियान’ मा डाळौं पर रक्षा सूत्र बांधिक उथैं बचाणा क एक संकल्प च। ‘वृक्षाबन्धन अभियान’ आरटीआई लोक सेवा क् बौत सुन्दर पहळ च।
हमर देस मा मनखियों क गिनती खळाखळ (तेजी से) से बढ़दि जाणीं च, उतगा हि खळाखळ से डाळों क गिनती कम हूंणि च। या भविष्य खूंणि खतरा क घंटि च। ईं वा बात च कि अब हमथैं अपड़ा बणों अर अपड़ि म्याळु धरति थैं बचाणा क जिमेदरि लिंण प्वाड़ळि। अर या जिमेदरि हम सब्बियों क च।
कोरोना वायरसळ हमथैं डाळों क् महत्व समझै द्यायी अर हमरि समझ मा भि ऐग्यायी। लेकिन सवाळ यों च कि क्या हम अपणि जिंदगि मा बगत का दगड़ा दगड़ि बदळाव ल्याणां छौं?
धरति हमथैं बार-बार खबरदान करणि च। अगर हम अब्बि नि चितौंळा त हम स्वोचि नि सकदा कि आणा वळु बगद कनु ह्वोळु। अब्बि त हम अपड़ि धरति थैं बचाणा खूंणि परवा करणा छौं बस। सवाळ त हमथैं अपड़ा आप से भि करण प्वाड़ळु कि अपड़ि ई धरति थैं बचााणा खूंणि हमन क्या कायी, कतगा डाळ बूटा लग्गें अर कतगों थैं बचायीं।
अगर हमथैं ईं धरति क सुंदरता थैं बचणा च त हमथैं वृक्षारोपण क दगड़ा-दगड़ा मा डाळों थैं बचाणा खूंणि ‘वृक्षाबन्धन अभियान’ जन्नि पहल थैं भि अपड़ा जिंदगि कु हिस्सा बणाण प्वाड़ळु तबि हम बोळि सकदो कि ई धरतिळ हमथैं जिंदगि द्यायी, हम ईं धरती का मायादार (प्रेमी) छौं अर हमरि धरति कतगा रौंतेळी स्वाणि च।