खतरनाक है “ऑनलाइन गेम्स”
“गेमिंग एडिक्शन के कारण ज्यादातर बच्चे बहुत चिड़चिड़े हो जाते हैं। फोन ले लेने पर वे विचलित होने लगते हैं। “
पिछले एक साळ से कोरोना के कारण बच्चें घरों में कैद है। स्कूल बन्द, मैदान बन्द है। घर में कैद बच्चों पर ई गेम्स व एप्स का जादू सिर पर चढ़कर बोल रहा है। बच्चे मोबाइल के आदि होते जा रहे है।
किसी भी चीज की लत तब होती है, जब उसका जरूरत से अधिक इस्तेमाल होने लगे और जब उसके बिना जिंदगी में कुछ अधूरा सा लगने लगे। सुबह उठने से लेकर रात में सोने तक बच्चे फोन या लैपटाॅप की कैद में रहने लगे हैं। अगर इस स्थिति को समय पर नियंत्रित न किया जाए तो यह बेहद तनावपूर्ण हो सकती है। आइए जानते हैं इसके नुकसान और बचाव के तरीके।
एकाग्रता में कमी आना-
दिन-रात एक कर किसी गेम के लेवल्स को पार करते रहने से दूसरे कामों से मन भटकना बेहद सामान्य है। स्टूडेंट्स हों, नौकरीपेशा लोग हों, जो भी किसी गेम की लत का शिकार होगा, वह किसी दूसरे काम में मन नहीं लगा पाएगा। कोई जरूरी काम करते समय भी उसका ध्यान सिर्फ अपने पसंदीदा गेम की दुनिया में ही लगा रहेगा, जिसका गलत असर उसके अन्य महत्त्वपूर्ण कामों पर भी पड़ता है।
नींद की समस्या होना-
लगातार खेलते रहने के कारण एक समय के बाद लोगों को नींद से जुड़ी कई तरह की समस्याएं होने लगती हैं। फोन पास में रख कर सोना भी एक मुसीबत है। अगर उनकी आंख खुलेगी, तो वे उस गेम में व्यस्त हो जाएंगे, जिसके कारण उनकी नींद कई घंटों के लिए प्रभावित हो सकती है।
समाज से कटना –
लगातार टेक्नोलाॅजी के संपर्क में रहने से व्यक्ति अपने आसपास के लोगों से दूर होने लगता है। पार्टी या किसी और सामाजिक कार्यक्रम में होने पर भी वह अपने फोन में आंखें गड़ाए ही बैठा रहेगा। इससे उसके वहां होने या न होने का कोई खास मतलब नहीं रहता है। कुछ नहीं तो कई लोग फोटो एडिटिंग एप्स व फिल्टर्स की सहायता से सेल्फी लेते हुए नजर आते रहते हैं। यह भी एडिक्शन की श्रेणी में आता है।
चिड़चिड़ापन होना –
गेमिंग एडिक्शन के कारण ज्यादातर लोग खासकर बच्चे बहुत चिड़चिड़े हो जाते हैं। उनके हाथ से जरा देर के लिए भी फोन ले लेने पर वे विचलित होने लगते हैं। कई बार खाना-पीना तक छोडं देते हैं और इन सबके बीच उनकी पढ़ाई तो डिस्टर्ब होती ही है
ऐसे करें बचाव-
ऐसे बच्चों से जितना अधिक हो सके, मेलजोल बढाएं। इसके लिए अपने परिवार व दोस्तों के लिए समय निकालें। एकाग्रता बढ़ाने के लिए जरूरी व दिमागी कार्यों के बीच कुछ समय का ब्रेक लेते रहें। हो सके तो इन ब्रेक्स में फोन व लैपटाॅप का कम से कम इस्तेमाल करें।