केदारनाथ, उदक कुंड का निर्माण हुआ पूर्ण
केदारनाथ आपदा में मिट गया था उदक कुंड का नामोनिशान
अब केदारनाथ धाम में तीर्थयात्री उदक कुंड के पवित्र जल से आचमन कर सकेंगे। वर्ष 2013 की आपदा में ध्वस्त उदक कुंड का डीडीएमए ने निर्माण पूर्ण कर दिया है। आपदा के बाद केदारपुरी में हंस कुंड, उदक कुंड, अमृत कुंड, रेतस कुंड तथा हवन कुंड का अस्तित्व समाप्त हो गया था।
बता दें कि केदारनाथ मंदिर से लगभग सौ मीटर की दूरी पर उदक कुंड स्थित है। इस जल से भगवान शिव का जलाभिषेक किया जाता है। साथ ही बाबा की पंचमुखी उत्सव डोली के ओंकारेर मंदिर जाते समय उदक कुंड के जल का छिंड़काव किया जाता है। आपदा से केदारनाथ धाम में अवस्थित पांच कुंड जमींदोज हो चुके थे। कई वर्षों बाद स्थानीय लोगों तथा डीडीएमए के कर्मचारियों ने जहां पर पूर्व में उदक कुंड था, उस स्थान की ढूंढ खोज की और मास्टर प्लान के तहत कुंड का पौराणिक व स्थानीय पत्थरों से सुंदर निर्माण किया गया है।
उदक कुंड का निर्माण प्रशासन के निर्देशानुसार तथा मास्टर प्लान के अनुसार चार फीट गहरा तथा दस फीट चौड़ा निर्मित किया गया है। आपदा में बिखरे बोल्डरों से इस कुंड को भव्यता दी गयी है। आगामी कुछ वर्षों में अन्य जमींदोज कुंड तथा मठ मंदिर का पुनर्निर्माण किया जायेगा। केन्द्र सरकार की एनओसी के बाद ही इस अमृत तथा उदक कुंड का निर्माण किया गया।
जिलाधिकारी मनुज गोयल ने बताया कि उदक कुंड के निर्माण के बाद अब वैज्ञानिकों की मदद से अन्य कुंडों का निर्माण भी मास्टर प्लान के तहत किया जायेगा।