वैक्सीन के नाम पर लूट की छूट

दून। 18 से ऊपर के युवाओं के लिए केन्द्र व राज्य सरकारें वैक्सीन मुफ्त लगाने की बात तो कर, लेकिन पर्दे के पीछे की सच्चाई कुछ और है। राज्य में बीते कुछ दिनों से 18 से 45 साल तक के लोगों के लिए चलाए जाने वाला टीकाकरण अभियान बन्द पड़ा है। वहीं दूसरी तरफ निजी अस्पतालों मेें 18 से ऊपर के युवाओं का टीकाकरण किया जा रहा है।

ऐसे में सवाळ यह कि जो वैक्सीन निजी अस्पताळों के पास है, वह सरकार के पास क्यों नहीं?

18 वर्ष से ऊपर वाले युवाओं के लिए वैक्सीन लगाने के लिए सरकार ने जो जरूरी प्रक्रिया अपनायी है वह शुरू से ही सवालों के घेर में है। 18 से ऊपर वाळे युवाओं को वैक्सीन लगाने हेतु सर्वप्रथम सरकारी वेबसाइड पर वैक्सीन लगाने का समय व दिनांक की बुकिंग करनी आवश्यक है। ऐसे मेंं जैसे ही स्टाॅल हेतु बुकिंग खुलती है, खुलते ही वह बुक्ड दिखाती है। सवाल यही है कि आखिर वो कौन लोग है जो साइट खुलते ही सेकेण्ड में अपनी बुकिंग कर लेते है। यही वो कारण रहा कि वैक्सीन लगाने को लेकर लोगों में अफरा-तफरी का माहौल है, हर कोई जल्दी से वैक्सीन लगाना चाहता है।

ऐसे में सरकार द्वारा निजी अस्पताळों को 18 से ऊपर के आयु वर्ग को भुगतान कर वैक्सीन लगाने की अनुमति क्या मिली कि उन्होंने आपदा में अवसर खोज लिया है।

बता दें कि एक निजी अस्पताळ ने राजधानी के दून क्लब में टीकाकरण शिविर लगाया गया तो यहां पहले दिन टीके की एक डोज की कीमत 900 रुपये, दूसरे दिन 1000 रुपये फिर अगले दिन इसे 1100 रुपए वसूल की गई।

देहरादून में फिलहाल 2 निजी अस्तपतालों में 18 से ऊपर के आयु वर्ग का टीकाकरण किया जा रहा है। co-win.gov.in पोर्टळ पर साफ देखा जा सकता है कि दोनों निजी अस्पताळों द्वारा एक ही वैक्सीन के अलग अलग कीमत ले रहे हैं।

जहां कृष्णा मेडिकळ सेन्टर में 900 रुपये में वैक्सीन लगा रहा है। वहीं दूसरी तरफ मैक्स सुपर स्पेलिस्ट अस्पताळ इसी वैक्सीन दाम 1100 रुपये में वसूल रहा है। उत्तराखण्ड ही नहीं यह हाल उत्तरप्रदेश के निजी अस्पताळों का भी है। वहां भी निजी अस्पतालों द्वारा वैक्सीन 900 से 1400 रुपए तक में लगायी जा रही है।

यह सही है कि इन निजी अस्पतालों को सरकार द्वारा वैक्सीन फ्री में नहीं दी गयी होगी। लेकिन क्या यह यही है कि जो वैक्सीन को कल तक निजी अस्तपालों में (45 से ऊपर आयु वर्ग को ) 250 रुपये में लग रही थी। वहीं वैक्सीन आज 18 से ऊपर आयु वर्ग के युवाओं को 900 से लेकर 1100 रुपये में लग रही है?

ऐसे में बड़ा सवाळ यह है कि निजी अस्पतालों को टीके की मनमानी दाम वसूलने की खुली छूटआखिर किसने दी और क्याेंं दी ?

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