गजब, ‘लाॅकडाउन’ में आवश्यक हुई ‘शराब’
UK Dinmaan
कोरोना महामारी के चलते प्रदेश में संक्रमितों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। वहीं तीन महीने के लाॅकडाउन समाप्ति के पश्चात जिन्दगी एक बार फिर धीरे-धीरे ही सही पटरी पर दौड़ने की कोशिश कर रही है। जिस कारण एक बार फिर संक्रमण लगातार वृद्धि हो रही है।
ऐसे में प्रदेेश सरकार कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए प्रदेश के चार जिलों देहरादून, ऊधम सिंह नगर, नैनीताल और हरिद्वार में पिछले शनिवार और रविवार को लाॅकडाउन का निर्णय लिया है। सरकार ने इस लाॅकडाउन अवधि में नई गाइड लाइन जारी की है जिस लेकर कई सवाल खड़े हो रहे है। सरकारी गाइड लाइन के अनुसार दूध, सब्जी, दवा आवश्यक सेवाओं को छोड़कर को अन्य सेवायें को पूर्णःतह बन्द रखा गया है।
सवाल आवश्यक सेवाओं को लेकर ही है जो आम से लेकर खास जन को सोचने पर मजबूर कर रहा है कि दो दिवसीय साप्ताहिक लाॅकडाउन शनिवार और रविवार को रेस्टोरेंट बंद रखने के आदेश हैं, वहीं शराब की दुकानों को खुला रखने का सरकारी फरमान क्यों? सवाल यह भी है कि शराब आवश्यक सेवा की श्रेणी में कब और कैस आ गई?
उत्तराखण्ड देवभूिम है जहां शराब काेे लेेकर हमेशा ही विरोध होता रहा है। पर्वतीय क्षेत्रों की महिलाओं ने तो कई कई दिनों तक शराब के विरोध में आंदोलन किए। यहां तक कि कई गांव के लोगों ने सामुहिक रूप से शादियों और अन्य समारोहों में शराब के प्रयोग पर पाबंदी लगा दी है। शराब का शादी समारोहों में प्रयोग करने वालों का सामुहिक बहिष्कार तक किया जाता है। बावजूद इसके सरकार द्वारा शराब को इतनी महत्ता दिया जाना जनता की समझ से परे है।
इस बात से कतई गुजरे नहीं कि लाॅकडाउन के कारण प्रदेश की अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान हुआ है और शराब राजस्व इकट्ठा करने का एक बड़ा माध्यम है, लेकिन इसका यह मतलब कतई नहीं होना चाहिए कि शराब को आवश्यक वस्तुओं की श्रेणी में शामिल कर राज्य की आर्थिक को सुदृढ़ किया जाय।
यहां केवल और केवल यह प्रतीत होता है कि सरकार शराब कारोबारियों के दबाव में है। वैसे भी जग जाहिर है कि शराब कारोबारियों ने अपनी मांगें मनवाने के लिए हड़ताल तक की, सरकार द्वारा उन्हें उनकी मांगों पर विचार का आश्वासन दिया था।
शराब को लेकर डब्लूएचओ का कहना है कि एल्कोहल का सेवन से वायरस की चपेट में आने का खतरा बढ़ जाता है। कोरोना वायरस के मामले में प्रमाणित हो चुका है कि इनसे लड़ने के लिए इंसानी का इम्यून सिस्टम यानी रोग प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होनी चाहिए और एल्कोहल सीधे तौर पर इम्यून सिस्टम को ही कमजोर करता है।
ऐसे में शनिवार, रविवार के लाॅकडाउन अवधि में शराब को आवश्यक श्रेणी में शामिल कर बेचना ‘सरकार’ की मंशा पर संदेश ही पैदा करता है कि आखिर ‘लाॅकडाउन’ जिन्दगी बचाने की लिए है या जिन्दगी से खिलवाड़ करने के लिए।