स्थायी राजधानी कु मुद्दा, प्रदेशक रैंवासी एकदा फिर खौल्यां क खौल्यां ही रैंगी

जनआंदोलन व शहादतों क बाद उत्तरप्रदेश से अळग ह्वैकैकि बड़यू कभी ‘उत्तराचंळ’ त कभि ‘उत्तराखण्ड’ नाम की राजनैति लडै़ मा उल्झयू राज्य आज 20 बरसों का बाद भि अपणी स्थायी राजधानी खुणि संर्घष ही करणु च।

प्रदेश मा 4 मार्च 2020 खुणि बड़ि बात या ह्वायी कि प्रदेश का मुख्यमंत्रीळ बजट सत्र क दौरान गैरसैंण थैं प्रदेश की राजधानी ग्रीष्मकाळीन राजधानी घोषित करै द्यायी अर या पर माननीय राज्यपाल कि मोहर भि ळग्यायी। जै कारण अजकाल राजधानी का नौं पर एक बार फिर प्रदेश राजनैतिक चर्चा शुरू ह्वैग्यायी।

चर्चा च आखिर प्रदेश स्थायी की राजधानी कख च? चर्चा या भि च कि क्या छ्वटा सि प्रदेश की द्वी राजधानी उचित छन?

उत्तराखण्ड राज्य आंदोळन का दगड़ ही प्रदेश मा राजधानी गैरसैंण की मांग हुणि बैठिग्या छायी। लेकिन आज 20 साळ बाद भि राजधानी का मुद्दा सुलझणक बजाय उलझाणु हि च। यख सोचण वळि बात या च कि 20 साळुमा प्रदेशमा भाजपा व कांग्रेस सरकारोंळ राज्य कायी जैंमा क्षेत्रीय दल उत्तराखण्ड क्रांति दल भी लगातार सरकारों मा शामिळ रायी लेकिन वांका बाद भी कैल भि राजधानी का मुद्दा थैं हळ नि कायी।

उत्तराखण्ड खुणि गैरसैंण सिरफ राजधानी कू सवाळ निच, गैरसैंण राज्य की अवधारणा कू मूळ च। यू सवाळ च शहीद राज्य आंदोळनकारियों कू, सवाळ च राज्य आन्दोळनकारियों कु जु आज भि संघर्षरत छन।

अब गैरसैंण थैं ग्रीष्मकाळीन राजधानी कू दर्जा मिळ ग्यायी। जैका सकारात्मक पहळु यौंच कि राजधानी का नौं पर सरकारळ एक कदम अगनै त बढ़ायी। अब पहाड़क विकास खुणि कुछ त आस जैग्गयाई कि पहाड़क विकास कू बाटु 6 मैना ही सै पहाड़ मा बैठिकि हि तय ह्वाळु।

वखि नकारात्मक पहळु योच कि छ्वट्टा सि उत्तराखण्ड प्रदेश मा द्वी राजधानी का बोझ प्वोड़िग्यायी, अर स्थायी राजधानी कु मुद्दा जन छायी उनि ही रैंग्यायी। 20 साळ बाद भि प्रदेशक रैंवासी एकदा फिर खौल्यां क खौल्यां ही रैंगी।

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