काश ! आम आदमी के लिए भी इतनी तत्पर’ होती पुलिस . . .
दून। पुलिस वीवीआईपी व्यक्ति की सेवा में कितनी तत्परता से कार्य करती है इसकी बागनी देहरादून में देखने को मिली।
खुद ही अपनी पीठ ठोक रही पुलिस काश इतनी तत्परता किसी आम आदमी शिकायत दूर करने में भी दिखाती तो शायद अपराधियों के हौसलें कभी इतने बुलंद ही न होते।
एक रिटायर्ड आईएएस के खाते से बैंक ने भूलवश 15 लाख रुपये की निकासी क्या हुई कि पूरा पुलिस महकमा सिर के बल खड़ा हो गया। न केवल देर रात बैंक मैनेजर को नोटिस जारी कराया गया बल्कि छुट्टी के दिन बैंक खुलवाकर उनकी रकम वापस खाते में डालवाई गई।
मामला कुछ यूं है कि सेवानिवृत्त आईएएस सुबर्द्धन को बीते 22 मई की रात्रि देना बैंक, बलबीर रोड से एक संदेश प्राप्त हुआ जिसमें उनके खाते से 15 लाख रुपये निकासी होना बताया गया। इसके तुरंत बाद सुबर्द्धन ने बैंक अधिकारियों से फोन पर बात कर इसकी वजह जाननी चाही, परंतु उन्होंने इसकी वजह नहीं बताई।
इसके बाद उन्होंने रात 10 बजे साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन के इंस्पेक्टर अमर चन्द शर्मा को इसकी सूचना दी। इंस्पेक्टर ने देर रात को ही एसटीएफ के पुलिस अधीक्षक स्वतंत्र कुमार और पुलिस उपाधीक्षक अंकुश मिश्रा को सूचित किया, जिसके बाद पूरी एसटीएफ हरकत में आ गई। सीसीपीएस ने रात 11 बजे बैंक मैनेजर को नोटिस जारी करवाया। अगली सुबह एसटीएफ के पुलिस अधीक्षक स्वतंत्र कुमार ने तुरंत पीड़ित को जवाब देने के लिए देना बैंक को निर्देशित किया। अगले दिन माह के चैथे शनिवार का अवकाश होने के कारण बैंक सहयोग नहीं कर रहा था, तो उन्होंने बैंक पर दबाव बनाकर छुट्टी के दिन बैंक को खुलवाया। पुलिस के दबाव में बैंक कर्मी अपने बैंक पहुंचे और पूरे मामले की पड़ताल की गई। कुछ ही घण्टों में सुबर्द्धन के खाते से निकाली गई गई 15 लाख की राशि वापस उनके खाते में जमा कर दी गई। बैंक ने माना कि उनसे यह दोषपूर्ण ऋण कटौती हुई थी।
पुलिस की इस अतिसक्रियता से प्रसन्न सुवर्धन ने पुलिस को प्रशंसा पत्र भेजा है। उत्साहित पुलिस मुख्यालय ने बाकायदा यह पूरा विवरण लिखित रूप में मीडिया को जारी किया है। काश! पुलिस आम आदमियों से जुड़े मामलों में भी इतनी ही तत्परता दिखाती।