जांच अधिकारी के खिलाफ ही साजिश, क्षुब्ध अधिकारी ने की साइबर थाने में शिकायत

लॉकडाउन के दौरान लाखों की शराब गायब करने के मामले में अब सियासत गरमाने लगी है। सियासत राजनेता नहीं बल्कि आबकारी महकमे के अफसर कर रहे हैं। निराधार सूचनाओं को हवा देकर एक ऐसे अधिकारी को कठघरे में खड़ा किया जा रहा है जिसने मामले की निष्पक्ष जांच की करते हुये तथ्य और सबूतों से साबित कर दिया कि कैसे सील्ड ठेकों से शराब ठिकाने लगाई गई। दोषी शराब व्यवसायियों और ठेकेदारों पर कार्रवाई की नौबत आई तो उल्टे इसी अधिकारी के खिलाफ निराधार आरोप लगाए जा रहे हैं। क्षुब्ध अधिकारी ने इस मामले की शिकायत पुलिस और साइबर थाने में की है।

बीते 17 मार्च को हरिद्वार की डीईओ ओमकार सिंह सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गए थे। उसके बाद आबकारी मुख्यालय से उपायुक्त प्रभाशंकर मिश्र को हरिद्वार का प्रभारी डीईओ बनाया गया। इसी बीच 24 मार्च से पूरे देश में लॉकडाउन घोषित हो गया। लॉकडाउन के दौरान प्रदेशभर के अधिकांश सील्ड ठेकों से शराब गायब कर दी गई।

इसी अवधि में रुड़की में पुलिस ने 167 पेटी शराब की पकड़ ली। मामला उछला तो हरिद्वार के डीएम सी रविशंकर ने मामले की जांच प्रभारी डीईओ प्रभाशंकर को सौंपी। जांच में साबित हो गया कि जिले के अधिकांश ठेकों से शराब पूरी तरह गायब कर दी गई थी। रिपोर्ट में कहा गया कि कुल 77 ठेकों में से 44 में तो शराब की एक बोतल भी नहीं मिली।

जांच में यह भी साबित हुआ कि पकड़ी गई शराब रामनगर के ठेके को आवंटित की गई थी जिसकी तस्करी में सम्बंधित आबकारी निरीक्षक की भी संलिप्तता प्रतीत हुई। अब जबकि प्रभाशंकर मिश्र की जांच रिपोर्ट के आधार पर दोषियों पर कार्रवाई होनी तय है तो प्रभाशंकर के खिलाफ ही साजिशें शुरू हो गई हैं।

नेहरू कालोनी पुलिस थाने में दी तहरीर में प्रभाशंकर मिश्र ने कहा है कि कथित सेनेटाइजर घोटाले और पौड़ी जिले के एक पूर्व के मामले को सोशल मीडिया में उछालकर उनकी छवि को धूमिल किया जा रहा है। कम्पनियों से सेनेटाइजर की वसूली कर उसे बेचने का आरोप प्रभारी डीईओ पर लगाया जा रहा है। उनका कहना है कि प्रदेश के सभी जिलों में एकमात्र प्रभारी डीईओ वही है लिहाजा उनकी छवि धूमिल हो रही है। प्रभाशंकर ने इस मामले की जांच करने और निराधार खबरें प्रकाशित करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। इधर, साइबर पुलिस थाने ने मामले की जांच शूरु कर दी है।

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