लाॅकडाउन के कारण फंसे बाबा केदार के रावल, फंस गया बाबा का “स्वर्ण मुकुट”
प्रसिद्ध धाम केदारनाथ के मुख्य पुजारी (रावल) भीमा शंकरलिंगम ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर उन्हें महाराष्ट्र नादेड़ से ऊखीमठ पहुंचाने का आग्रह किया है। रावल भीमा शंकरलिंगम देशव्यापी लॉकडाउन की वजह से ऊखीमठ नहीं पहुंच पा रहे हैं। केदारनाथ धाम के कपाट खुलने से पहले शीतकालीन गद्दी स्थल पर होने वाली अंतिम पूजा में केदारनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी का उपस्थित होना अनिवार्य माना जाता है क्योंकि उखीमठ से केदारनाथधाम रवाना होते समय बाबा केदार की डोली ‘स्वर्ण मुकुट’ से सुशोभित होती है, जो इस नांदेड़ में मौजूद रावल के पास रह गया है।
रावल भीमा शंकरलिंगम ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लिखे पत्र में कहा है कि वह वर्तमान में नांदेड़ महाराष्ट्र में हैं। आगामी 29 अप्रैल को सुबह 6 बजे केदारनाथ मंदिर के कपाट ग्रीष्मकाल के लिये खोले जाने हैं। इससे पूर्व 24 अप्रैल को शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में विशेष पूजा होती है जिसमें उनका मौजूद रहना अनिवार्य है। इस पूजा के बाद 25 अप्रैल को भगवान की गद्दी ऊखीमठ से केदारनाथ के लिये रवाना होगी। लिहाजा धार्मिक परम्पराओं को ध्यान में रखते हुये उनका 24 अप्रैल तक हर हाल में ऊखीमठ पहुंचाना जरूरी है। रावल ने प्रधानमंत्री से आग्रह किया है कि केन्द्र सरकार उन्हें नांदेड़ से ऊखीमठ जाने की अनुमति प्रदान करने के साथ ही उन्हें टीम सहित ऊखीमठ पहुंचाने की व्यवस्था करें। उनके साथ दो सेवादार, एक पुजारी और एक व्यवस्थापक भी ऊखीमठ जायेंगे।
मुकुट की भी है बाध्यता
ऊखीमठ में अपने शीतकालीन प्रवास के बाद भगवान केदार की डोली जब केदारनाथ धाम के लिये रवाना होगी तो डोली के ऊपर भगवान केदार का स्वर्ण मुकुट भी विराजमान होना चाहिये। परंपरा अनुसार शीतकाल में यह स्वर्ण मुकुट केदारनाथ के रावल के सिर पर रहता है। समस्या यह है कि लॉकडाउन के कारण केदारनाथ के रावल भीमाशंकर लिंग महाराष्ट्र के नांदेड़ जिले में फंसे हैं।