उत्तराखण्ड में हाईड्राॅक्सी क्लोरोक्वाइन बनाने का काम हुआ ठप
UK Dinmaan
दून। महामारी से जूझ रहे विश्व में अभी तक इससे बचाव की कोई निश्चित दवा नहीं बनने के बावजूद भारत में निर्मित हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन दवा की लगातार बढ़ रही मांग के कारण भारत सुर्खियों में है।
ये दवा एंटी मलेरिया ड्रग क्लोरोक्वीन से अलग दवा है। यह एक टेबलेट है जिसका उपयोग ऑटोइम्यून रोगों जैसे कि संधिशोथ के उपचार में किया जाता है। लेकिन इसे कोरोना से बचाव में इस्तेमाल किये जाने की बात भी सामने आई है।
देहरादून में इप्का लेबोरेटरीज के सेलाकुई फैक्ट्री के प्रभारी गोविंद बजाज के अनुसार देश में कई स्थानों पर प्लांट संचालित हैं। सेलाकुई के इस प्लांट में अभी तक दो करोड़ टेबलेट प्रति माह तैयार की जाती थीं। कोरोना के प्रकोप के बाद एचसीक्यूएस की बढ़ती मांग के कारण इसका उत्पादन अब पांच करोड़ टेबलेट प्रति माह कर दिया गया था। बजाज के अनुसार एचसीक्यूएस टैबलेट बनाने में प्रयुक्त होने वाला कच्चा माल ग्वालियर प्लांट में तैयार होता है। उन्होंने बताया कि पूर्णबंदी के कारण सारी फैक्ट्री बन्द हो गई थीं। जिस कारण कोरोना के इलाज में कारगर साबित हो रही हाईड्राॅक्सी क्लोरोक्वाइन का कच्चा माल पांच गुना महंगा हो जाने से फार्मा कंपनियों ने इसका उत्पादन बंद कर दिया है। दवा के कच्चे माल (एपीआई) की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए राज्य के ड्रग कंट्रोलर ने ड्रग कंट्रोलर जनरल को पत्र लिखा है।
फार्मा उद्योग से जुड़े कारोबारियों ने बताया कि हाईडाॅक्सी क्लोरोक्वाइन की 100 गोलियों का मटीरियल पहले 180 रुपये में मिलता था। लेकिन अब यह बढ़कर 1100 रुपये हो गया है। बाजार में हाईड्राॅक्सी क्लोरोक्वीन के कच्चे माल की खासी कमी है। इसलिए जिनके पास थोड़ा बहुत माल है, उन्होंने कीमतें बढ़ा दी हैं।
5.6 रुपये तय की गई है टैबलेट की कीमत
रुड़की फार्मास्यूटिकल मैन्युफैक्चरर एसोसिएशन के अध्यक्ष कुलदीप सिंह ने बताया कि केंद्र सरकार ने हाईड्राॅक्सी क्लोरोक्वाइन की एक गोली की कीमत पांच रुपये छह पैसे तय की है। ऐसे में अब मटीरियल महंगा होने की वजह से इस दर पर फार्मा यूनिटों के लिए दवाई का निर्माण संभव नहीं है।
हाइड्राॅक्सी क्लोरोक्वाइन की डिमांड अचानक बढ़ गई है। इस वजह से कच्चा माल महंगा हो गया है। लाॅकडाउन के कारण माल की आपूर्ति मुश्किल से हो रही है। हाइड्राॅक्सी क्लोरोक्वाइन के कच्चे माल का भाव पहले नौ हजार रुपये प्रति किलो था जो इस समय 55 हजार से लेकर 75 हजार रुपये तक पहुंच गया है।
अनिल शर्मा
अध्यक्ष, हरिद्वार फार्मास्यूटिकल मैन्युफैक्चरर एसोसिएशन