बेटे को घर वापस लाने के लिए मां ने चलाई 1400 किमी स्कूटी
मां तो मां होती है। जी हां मां की ममता को लेकर अनेक कहानियां आपने सुनी होंगी, लेकिन कोरोना वायरस की वजह से देश में चल रहे लॉकडाउन के बीच मां की एक नई कहानी है सबका दिल जीत लिया।
हम बात कर रहे है तेलंगाना के निजामाबाद की रहने वाली एक महिला अध्यापिका जो लॉकडाउन के चलते अपने एक साहसपूर्ण काम की वजह से चर्चा में हैं। निजामाबाद के बोधान में एक स्कूल में पढ़ाने वाली रजिया बेगम लॉकडाउन के कारण आंध्र प्रदेश के नेल्लोर में फंसे अपने बेटे को घर वापस लाने के लिए अपनी स्कूटी से ही निकल पड़ीं। तकरीबन 1400 किमी की दूरी स्कूटी से तय करने के बाद आखिरकार वह अपने बेटे को घर वापस लाने में सफल रहीं।
रजिया ने लॉकडाउन में बाहर निकलने के लिए पुलिस से अनुमति ली और निकल पड़ी अपने अभियान में। ऐसा नहीं कि किसी ने उसे रास्ते में रोका हो। नेल्लोर पहुंचने तक उन्हें रास्ते में कई जगहों पर रुका गया, इस दौरान उन्होंने स्थानीय अधिकारियों को अपनी बात समझाते हुए नेल्लोर तक की यात्रा तय की।
उन्होंने कहा कि यह उनके लिए आसान नहीं था। मामला ऐसा है कि रजिया का बेटा निजामुद्दीन हैदराबाद में एक कोचिंग संस्थान में पढ़ाई करता है। वह इंटरमीडिएट का छात्र है। बीते महीने निजामुद्दीन नेल्लोर के रहने वाले एक दोस्त के साथ अपने घर बोधान आया था।
इस दौरान निजामुद्दीन के दोस्त को खबर मिली कि उसके पिता की तबीयत ठीक नहीं है। जानकारी मिलते ही 12 मार्च को निजामुद्दीन अपने दोस्त को लेकर नेल्लोर निकल गया। इसी बीच कोरोना महामारी के मद्देनजर लॉकडाउन लागू हो जाने के बाद वह घर वापस नहीं आ सका। नेल्लोर से बेटे की वापसी की कोई राह न पाकर रजिया ने बोधान के एसीपी से संपर्क साधा और उन्हें सारी बात बताई।
पुलिस से अनुमति पत्र लेकर रजिया ने अपनी स्कूटी से ही नेल्लोर जाने का फैसला किया। वह 7 अप्रैल को नेल्लोर पहुंच गई। निजामुद्दीन को साथ लेकर वह तुरंत वहां से निकल पड़ी और 8 अप्रैल को बोधान वापस लौट आई। इस दौरान रजिया ने स्कूटी से तकरीबन 1400 किमी की दूरी तय की।
रजिया ने नेल्लोर जाने के दौरान उसने जंगल के रास्तों का भी इस्तेमाल किया। ऐसा करते उसे किसी चीज से डर नहीं लगा। बस दिमाग में केवल एक ही ख्याल था कि उसे अपने बेटे को वापस लाना है।