‘कोरोना’ : चीन की नापाक चाल
UK Dinmaan
कोरोना वायरस कई प्रकार के विषाणुओं (वायरस) का एक समूह है। इनके कारण मानवों में श्वास तंत्र संक्रमण पैदा होता है। जिसकी गहनता हल्की (जैसे सर्दी-जुकाम) से लेकर अति गम्भीर तक हो सकती है। कोरोना की रोकथाम के लिए प्राणी की अपने प्रतिरक्षा प्रणाली पर निर्भर करता है।
लातीनी भाषा में ‘‘कोरोना‘‘ का अर्थ ‘मुकुट’ होता है और इस वायरस के कणों के इर्द-गिर्द उभरे हुए कांटे जैसे ढाँचों से इलेक्ट्रान सूक्षमदर्शी में मुकुट जैसा आकार दिखता है, जिस पर इसका नाम रखा गया था।
कोरोना ने चीन, अमेरिका, इटली, दक्षिण कोरिया, ईरान, ब्रिटेन, जापान आदि देशों में कहर बरपा रखा है। दुनियाभर में कोरोना वायरस की वजह से अब तक हजारों की जान जा चुकी है, जबकि लाखों लोग संक्रमित हैं और जिनकी संख्या लगातार तेजी के साथ बढ़ती ही जा रही है। भारत भी इससे अछूता नहीं रहा। पूरे विश्व में कोहराम मचाने व इसकी चपेट में आकर मरने वालों की बड़ी संख्या को देखते हुए WHO ने कोरोना वायरस को महामारी घोषित कर दिया हैं। अब तक इस वायरस को फैलने से रोकने वाला कोई टीका नहीं बना है।
क्या ये चीन की कोई सोची समझी साजिश तो नहीं
कोरोना वायरस आज एक जानलेवा महामारी बन चुका है। ये वायरस चीन के वुहान शहर से निकलकर पूरी दुनिया में फैल चुका है। लेकिन आश्चर्य की बात है कि चीन में पैदा होने वाला यह वायरस चीनी शहर वुहान के अतिरिक्त अन्य किसी चीनी शहर शंघाई व बीजिंग जो इसके 800 और 1200 किमी दूरी पर थे उन तक नहीं पहुंच पाया। शंघाई और बीजिंग में कोरोना से एक भी मौत नही हुई।
अब सवाल यह है कि क्या यह वायरस चीन ने तैयार किया या फिर प्राकृतिक कारणों से यह वायरस पैदा हुआ? कारण जो भी हो लेकिन यहां संदेश चीन पर ही है कि आखिर क्यों –
इतनी बड़ी त्रासदी होने के बाद उसने विश्व से कोरोना जैसी वायरस की बात छुपाई।
आखिर क्यों चीन ने कोरोना वायरस के शुरूआत में मिले सैंपल को नष्ट नहीं किया?
साथ ही यह जानते हुए कि वायरस से बचाव केवल और केवल इसे फैलने से रोकना मात्र है। चीनी ने वुहान शहर के नागरिकों को विश्व में कहीं भी आने-जाने हेतु रोक क्यों नहीं लगाई। आखिर क्यों नहीं चीन ने अंतराष्ट्रीय उड़ानों पर रोक लगाई।
कोरोना वायरस के डर से चीन से बहुत बड़ी संख्या मेें लोग वापस अपने देश में जाने लगे। कोरोना वायरस चीन से अपने देश या फिर विदेशों गये चीनी लोगों के कारण ही विश्व में फैला।
कोरोना वायरस को लेकर यही वह चूक थी जो आज विश्व पर भारी पड़ कहर बरपा रही है। चीन से वापस आये लोगों को जिस प्रकार की एहतियात रखनी चाहिए थी, उन्होंने नहीं रखी और न ही किसी भी देश ने कोरोना में आइसोलेशन की महत्ता को समझा।
चीन और अमेरिका देश हर क्षेत्र विश्व के अन्य देशों के मुकाबले काफी मजबूत है। यही नहीं अमेरका का मेडिकल सेक्टर तो चीन से भी मजबूत है। बावजूद अमेरिका में भी कोराना की चपेट में है। जबकि वायरस ने स्पेन, इटली में लोगों की जिंदगी को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया।
क्या है लाॅकडाउन उद्देश्य
अमेरिका, स्पेन, इटली, ईरान जैसे देशों में कोरोना के कहर को देखते हुए भारत सरकार ने उनसे सबक लेकर सबसे पहले सोशल डिस्टेंसिंग का ही प्रयोग करते हुए 22 मार्च 2020 को एक दिन के जनता कर्फ्यू का आह्वान किया था। जिसे सफल बनाने में जनता ने सरकार को पूरा सहयोग किया। यही कारण है कि उसके बाद भारत सरकार ने एक बड़ा और सख्त फैसला लेते हुए पूरे देश में इक्कीस दिन का लॉकडाउन कर दिया। 21 दिनों के लॉक डाउन के पीछे क्या गणित यह है कि कोरोना वायरस का इनक्यूबेशन पीरियड (वायरस से संक्रमित होने और लक्षण दिखने का समय 14 दिनों का है। अधिकतर मरीजों के शरीर में संक्रमित होने के 7 दिनों के अंदर लक्षण दिखना शुरू हो जाता है। ऐसे में देखें तो 14 वें दिन यानी 7 अप्रैल तक Covid-19 से संक्रमित सभी मरीज सामने आ जाएंगे या उनका पता लग जाएगा। यदि लॉक डाउन का कड़ाई से पालन किया गया तो सिर्फ उन्हीं व्यक्तियों या परिवारों के संक्रमित होने का खतरा रहेगा। जिनके यहां पहले से कोरोना वायरस से संक्रमित कोई मरीज है।
लॉक डाउन का मकसद अगले 21 दिनों के अंदर वायरस के प्रसार को फैलने से रोकना है और ऐसे मरीजों की पहचान करना है जो पहले से संक्रमित हैं, लेकिन उनका पता नहीं लग पाया है। अगर लॉक डाउन का कड़ाई से पालन किया गया तो संभव है कि सभी मरीजों का पता लगाया जा सके और वायरस के ट्रांसमिशन को रोका जा सके।
चीन ने विश्व को बाॅयलोजिकल युद्ध में धकेल कर अपनी नापाक अपनी चाल तो चल दी है। अब बारी हमारी है फर्क सिर्फ इतना है कि हमें यहां चीन को युद्ध में मैदान में नहीं, घर बैठ के मात देनी है।
देश की सरकार ने देश की जनता को बचाने के लिए 21 दिन केे लाॅकडाउन का फैसला किया है। अब देश हित में प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह भारत सरकार द्वारा जारी निर्देशों का पालन करें और कोरोना/ चीन को मात दें ।