यू हेल्थकार्ड योजना तोड़ रही दम, पैनल से बाहर हुए ‘सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल’. . .
सरकार के गैरजिम्मेदाराना फैसले से कोई कल्याणकारी योजना कैसे दम तोड़ देती है इसका जीता जागता उदाहरण है यू हेल्थ कार्ड योजना। इस योजना के तहत राज्य कर्मचारियों व पेंशनरों को वर्षों से चिकित्सा उपचार सुविधा दी जा रही थी लेकिन एक साल पहले राज्य सरकार ने इस योजना को यह दावा करते हुये अटल आयुष्मान योजना के साथ मर्ज कर दिया कि इससे कर्मचारियों को और अधिक फास्ट और लाभदायक उपचार सुविधा मिलेगी। सरकार का यह दावा झूठा निकाला। इसके विपरीत हुआ यह कि यू हैल्थ कार्ड स्कीम से देश के कई नामी सुपरस्पेशियलिटी हॉस्पिटल पैनल से बाहर हो गये।
इधर बीते एक अप्रैल से राज्य कर्मचारियों को यू हेल्थ कार्ड योजना के तहत इलाज मिलना बंद हो गया। इससे डायलिसिस करा रहे व अन्य गंभीर रोगों के मरीजों के सामने बड़ी समस्या खड़ी हो गई। दरअसल, राज्य में अटल आयुष्मान योजना के शुरू होने के बाद सरकार ने यू हेल्थ कार्ड योजना के अन्तर्गत अस्पतालों को भुगतान करना बंद कर दिया। अस्पतालों का अब तक सरकार पर लगभग 10 करोड़ रुपया बकाया हो गया है। अस्पतालों ने साफ कह दिया कि इलाज तभी होगा जब मरीज अपने स्तर पर भुगतान करे।
दरअसल, राज्य में वर्ष 2012 में राज्य कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए यू हेल्थ कार्ड योजना लागू की गई थी। इसे स्वैच्छिक रखा गया। वर्ष 2017 में सरकार ने इसे अनिवार्य कर दिया। गत वर्ष अटल आयुष्मान योजना की शुरुआत के साथ यह निर्णय लिया गया कि यू-हेल्थ को भी इसमें मर्ज किया जाएगा। प्रदेश के करीब पांच लाख सरकारी कर्मचारियों व पेंशनरों को इसका फायदा मिलेगा।
वर्ष 2018 के गणतंत्र दिवस पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इसकी घोषणा की थी, लेकिन मार्च बीत जाने के बाद भी इसका क्रियान्वयन नहीं हुआ है। इस बीच यू-हेल्थ योजना के तहत इम्पैनल्ड अस्पतालों का अनुबंध 31 मार्च 2019 को खत्म हो गया। वर्ष 2012 में यू हेल्थ कार्ड स्कीम में देश के 33 हॉस्पिटल पैनल्ड थे जो अब घटकर मात्र 18 रह गये हैं। जो 15 हॉस्पिटल पैनल से बाहर हुये हैं उनमें ज्यादातर सुपर स्पेशियलिटी हैं।
आयुष्मान पैनल से भी बाहर हुये 17 अस्पताल
देहरादून। अटल आयुष्मान योजना के पैनल में एक साल पहले 88 निजी व 101 सरकारी अस्पताल थे। मौजूदा समय में पैनल में सिर्फ 71 निजी अस्पताल रह गये हैं, शेष 17 बाहर हो गये हैं। यानि इस योजना के तहत भी सुपर स्पेशियलिटी उपचार मरीजों को मिलना मुश्किल है। अटल आयुष्मान उत्तराखण्ड योजना के चेयरमैन डीके कोटिया का कहना है कि इन दोनों योजनाओं के पैनल में शामिल अस्पतालों में फर्क है।