‘अनपढ़‘ महिला बन गई ग्रामप्रधान

जनपद देहरादून के सहसपुर विकासखण्ड ऐसा मामला सामने आया कि जिसमें एक ऐसी महिला जा अनपढ़ है और हस्ताक्षर तक करना नहीं जानती फर्जी शिक्षक प्रमाण पत्रों आधार पर ग्राम प्रधान बन गई।

सूचना अधिकार से मिले दस्तावेजों ने महिला की पोल खोल दी। जिसकी लिखित शिकायत जिला निर्वाचन अधिकारी (जिला अधिकारी) से की ग्रामीण ने की है। अब आरोपी महिला के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी तय मानी जा रही है।

मामला जनपद देहरादून के सहसपुर विकास खण्ड की आमवाला ग्रामपंचायत का है। बीते अक्टूबर माह में प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव हुये। आमवाला ग्रामपंचायत का प्रधान पद सामान्य महिला के लिये आरक्षित था। इस पद पर चार महिलायें चुनाव लड़ी जिनमें से एक मीना पत्नी इन्तकाफ पुत्री हुसनदीन भी शामिल थीं। ग्राम प्रधान का चुनाव लड़ने के लिये सामान्य वर्ग की महिला को हाईस्कूल उत्तीर्ण होना अनिवार्य है। ग्रामीणों के मुताबिक मीना अपनढ़ है और पढ़ना-लिखना तक नहीं जानती है।

उन्हें अन्देशा हुआ कि चुनाव लड़ने के लिये मीना ने नामांकन पत्र के साथ फर्जी प्रमाण पत्र लगाये हैं। इसकी शिकायत सम्बंधित रिटर्निंग अफसर से की गई पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस बीच हुये चुनाव में मीना को 16 वोटों से जीत हासिल हुई और उसे ग्रामप्रधान निर्वाचित कर दिया गया।

इसके बाद आमवाला निवासी वीरेन्द्र सिंह पुत्र स्वर्गीय प्रताप सिंह ने पहले रिटर्निंग आफीसर और फिर राजकीय बालिका इण्टर कालेज लक्खीबाग से मीना के शैक्षिक प्रमाण (हाईस्कूल) के बारे में जानकारी हासिल की। कालेज से मिले जवाब में प्रधानाचार्या की ओर से स्पष्ट किया गया कि मीना पुत्री हुसनदीन ने उनके कालेज से हाईस्कूल नहीं किया है। संलग्न प्रमाण पत्र और अंकतालिका में दिया गया अनुक्रमांक और नम्बर सब फर्जी हैं। चुनाव नामांकन में मीना की ओर से जो हाईस्कूल का प्रमाण पत्र संलग्न किया गया था उसके मुताबिक उसने वर्ष 2003 में परीक्षा उत्तीर्ण की और उसका अनुक्रमांक 9736844 है, जो कूट रचना से तैयार किया गया है।

‘इस मामले में शासन को ही कार्रवाई करनी है। यदि शिकायत सही है तो आरोपी व्यक्ति को ग्राम प्रधान के पद से बर्खास्त करने के साथ ही उस पर मुकमदा दर्ज किये जाने का प्राविधान है’।

चन्द्रशेखर भट्ट, आयुक्त, राज्य निवार्चन आयोग।

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