सर्दियों में सेकें धूप, पिएं सूप

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ठंड में सूरज की धूप से हड्डियां एवं मांसपेशियां मजबूत होती हैं जबकि फल-सब्जियों के सूप से शरीर को शक्ति मिलती है। ठंड की गुनगुनी धूप के सेवन से जो आनंद मिलता है वही आनंद गर्मा-गर्म सूप के पीने से भी मिलता है।

सूरज की धूप घर के बाहर मिलती है जबकि फल-सब्जियों का सूप घर के अंदर मिलता है। सूरज की धूप विटामिन डी की पूर्ति करने वाला एकमात्र प्राकृतिक निःशुल्क स्रोत है। यह सूरज की धूप में सदैव विद्यमान रहता है किंतु ठंड के समय दिन भर एवं ग्रीष्मकाल प्रातः बेला इसकी प्राप्ति के लिए बेहतर समय होता है।

ठंड में 2 से 3 घंटे की धूप से एवं ग्रीष्मकाल में प्रातः बीस मिनट में विटामिन डी हमें पर्याप्त मात्रा में मिल जाता है। इसकी कमी से हड्डियों की समस्या पैदा हो सकती है। इसकी कमी से सूखा रोग, आस्टियोपोरोसिस, अवसाद एवं वजन बढने जैसी बीमारियां हो सकती हैं।

सूरज की धूप तो सदैव बैक्टीरिया एवं रोगाणु को नष्ट करती है किंतु प्रातः अर्थात् सूर्योदय के समय इसकी किरणों में रोग प्रतिरोधक शक्ति अधिक होती है। इसकी प्रातः की किरणों एवं धूप से नेत्रशक्ति बढ़ती है। टी.बी., खून की कमी, हड्डियों की कमजोरी, त्वचा रोग, सिर दर्द, खांसी, जोड़ों में दर्द, सूखा रोग, अवसाद आदि विभिन्न प्रकार के शारीरिक विकार नष्ट हो जाते हैं।

वैसे तो विटामिड डी मशरूम, मछली, अंडा, काडलिवर ऑयल आदि एवं सूरज की धूप से मिलता है। इसमें सूरज की धूप से प्राप्त विटामिन डी सर्वोपयुक्त है जो सबको बिना कुछ खर्च किए मिल जाता है। इससे हृदयाघात एवं डायबिटिज का खतरा कम होता है।

यह बच्चों के विकास में सहायक है एवं वृद्धों की जीवन आयु को बढ़ाता है। यह हड्डियों को मजबूत करने के अलावा स्वस्थ दिमाग के विकास में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

यह दिमागी संतुलन बनाए रखता है। यह लाभ गर्भवती स्त्री के गर्भस्थ शिशु को भी मिलता है। इससे खून का थक्का जमने की आशंका क्षीण हो जाती है। सूर्य धूप अनेक बीमारियों के खतरे से बचाकर जीवन आयु को बढ़ाती है। सूर्य धूप से मिले विटामिन डी के साथ भोजन का कैल्शियम मिलकर हड्डियों व मांसपेशियों को मजबूत बनाता है।

सूर्य धूप स्वास्थ्य समस्याओं को दूर कर स्वस्थ, निरोगी व दीर्घायु बनाती है। इससे पीठ दर्द, कमर दर्द, जोड़ों में दर्द, कमर झुकने की शिकायत कम होती है। हड्डियों के टूटने का खतरा कम होता है। हड्डियां जल्दी जुड़ती हैं। मांसपेशियों में दर्द व ऐंठन नहीं होती। दांत स्वस्थ एवं मजबूत होते हैं। सूजन, मोटापे से मुक्ति मिलती है।

सर्दी में प्रातः सूर्योदय से 9 बजे तक सूरज की धूप ले सकते हैं। यह लाभ 5 मिनट से आधा घंटे की धूप से मिल सकता है। यह रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाकर अनेक बीमारियों से बचाता है किंतु सूरज की अधिक धूप लेने या तीखी धूप से त्वचा झुलस कर काली पड़ जाती है। काले व लाल चकते हो जाते हैं।

इसकी पराबैंगनी किरणों की अधिकता से त्वचा कैंसर होने का खतरा भी रहता है, अतएव इससे बचने हेतु प्रातःकाल की कोमल धूप का लाभ लें। किसी भी मौसम में तीखी धूप हो, तब इससे बचने का उपाय करें।


फल-सब्जियों का सूप
शरीर को शक्ति देने में सूप सटीक माध्यम है। ठंड में साग-सब्जियों की बहार रहती है, अतएव इस मौसम में इनके सूप का जरूर सेवन करना चाहिए। दालों का पतला रूप या चावल पसावन को जीरा आदि से बघारकर स्वाद के अनुसार हल्का सेंधा नमक डाल कर, हल्के गर्म अवस्था में धीरे-धीरे पिएं।

साग-सब्जियों को कुकर में हल्का उबालकर उसे मसलें और मिक्सी से एक सार कर लें। फिर उसे पूर्व की तरह बघारकर पिएं।
कुछ लोग इस सूप को पौष्टिक व स्वादिष्ट बनाने हेतु दूध एवं हल्की शक्कर भी मिलाते हैं। बघारे गये हल्के गुनगुने सूप में यदि अदरक, जीरा, काली मिर्च, मिला हो तो उसका गुण बढ़ जाता है। यह भूख बढ़ाता है। भोजन को पचाता है एवं शरीर को शक्ति से भर देता है। सूप आप बारहमास ले सकते हैं।

शरीर सूप की पौष्टिकता को जल्दी स्वीकारता है, इसीलिए डाक्टर कमजोर एवं रोगी व्यक्ति को सूप पिलाने की सलाह देते हैं। कुछ डाक्टर सीधे दाल पानी, चावल पानी या साग सब्जी से बने सूप पीने की सलाह देते हैं। सेवनकर्ता को जो सूप अच्छा लगे, उसे जरूर पिएं और लाभ लें।

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