आधे से ज्यादा प्रदूषण जांच केन्द्रों के लाइसेंस एक्सपायर …

प्रदेश में वाहनों के प्रदूषण को जांचने के लिए प्रदूषण जांच केन्द्रों की संख्या वाहनों की संख्या की अपेक्षा बेहद कम है। ऊपर से दिक्कत यह है कि परिवहन विभाग ने अपनी वेबसाइट पर प्रदेश के अधिकृत प्रदूषण जांच केन्द्रों की जो सूची दी है उनमें से अधिकांश के प्राधिकार पत्र (लाइसेंस) की अवधि समाप्त हो चुकी है। सूची में दिए गए प्रदूषण जांच केन्द्रों में से सिर्फ 45 फीसदी ही प्रदूषण प्रमाण पत्र जारी कर सकते हैं।

परिवहन विभाग ‘उत्तराखण्ड मोटरयान (चतुर्थ संशोधन) नियमावली-2016 में प्रदूषण जांच केन्द्रों को प्राधिकृत किया जाना-169 (1) केन्द्रीय नियमावली के नियम 115 के उपनियम (7)’ के अधीन प्रदूषण जांच केन्द्रों को मान्यता देती है। अधिकृत प्रदूषण जांच केन्द्रों को निर्धारित अवधि तक विभाग की ओर से लाइसेंस जारी किया जाता है। लाइसेंस की अवधि में ही ये जांच केन्द्र वाहनों की जांच कर ‘प्रदूषण नियन्त्रण में है’ का प्रमाण पत्र जारी करते हैं। इसके लिए वे वाहन स्वामी से निर्धारित शुल्क लेते हैं। परिवहन विभाग ने अपनी वेबसाइट में प्रदेश भर में अधिकृृत प्रदूषण जांच केन्द्रों की सूची की जानकारी दी है। सूची में प्रदेशभर में कुल 90 प्रदूषण जांच केन्द्र दर्शाए गए हैं। खासबात यह है कि 90 में से 50 प्रदूषण जांच केन्द्रों के प्राधिकार पत्र की मान्यता अवधि समाप्त हो चुकी है। इनमें से कुछ ने ही नवीनीकरण के लिए आवेदन किया है, शेष ने इसमें दिलचस्पी नहीं दिखाई है। ऐसी स्थिति में वाहन स्वामियों को पूरी जानकारी लेने के बाद ही लाइसेंसधारी प्रदूषण जांच केन्द्र से अपने वाहन का प्रमाण पत्र लेना होगा।

प्रदेश में प्रदूषण जांच केन्द्र
देहरादू: लाइसेंस 25, अवधि समाप्त 14
टिहरी: लाइसेंस 4, अवधि समाप्त 0
हरिद्वार: लाइसेंस 13, अवधि समाप्त 05
पौड़ी: लाइसेंस 07, अवधि समाप्त 02
चमोली: लाइसेंस 02, अवधि समाप्त 01
रुद्रप्रयाग: लाइसेंस 01, अवधि समाप्त 0
नैनीताल: लाइसेंस 14, अवधि समाप्त 08
चम्पावत: लाइसेंस 03, अवधि समाप्त 01
अल्मोड़ा: लाइसेंस 03, अवधि समाप्त 01
बागेश्वर: लाइसेंस 03, अवधि समाप्त 02
पिथौरागढ़: लाइसेंस 02, अवधि समाप्त 01
ऊधमसिंहनगरः लाइसेंस 15, अवधि समाप्त 05

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