हिन्दुस्तान में दिखाई देगा ‘अफ्रीकी चीता’. . .

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सबसे तेज रफ्तार के लिए मशहूर एशियाई चीते भले ही विलुप्त हो गए हों पर अब अफ्रीकी चीते हिन्दुस्तान में देखने को मिल सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट की मनाही के बाद अफ्रीकी चीतों को हिन्दुस्तान लाने की योजना पिछले नौ साल से अधर में लटकी हुई है। वकीलों की ठोस दलीलों से अब सुप्रीम कोर्ट के रुख में तब्दीली देखने को मिली है। इसका श्रेय भारतीय वन्य जीव संस्थान (डब्लूआईआई) देहरादून के वैज्ञानिकों को जाता है जिन्होंने कोर्ट में दी गई दलीलों का आधार तैयार किया।

अफ्रीकी चीतों को हिन्दुस्तान लाने में पेंच कहां फंसा इसके पीछे एक दिलचस्प घटनाक्रम है। हुआ यूं कि वर्ष 2011 में गुजरात के गिर अभयारण्य में संरक्षित एशियाई शेरों में से कुछ को मध्य प्रदेश के पालपुर कुनो अभयारण्य में लाने की योजना बनाई गई। इस सम्बंध में सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई एक जनहित याचिका का गुजरात सरकार ने विरोध किया। याचिका पर सुनवाई के दौरान ही नामीबिया व दक्षिण अफ्रीका से चीते लाने का मुद्दा भी उठा। मई 2012 में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों ने कहा कि नामीबिया से अफ्रीकी चीते भारत लाने की अनुमति नहीं दी जा सकती क्योंकि जंगली भैंसा और ग्रेट इंडियन बस्टर्ड जैसी विलुप्त होने की कगार पहुंची देशी प्रजातियों के संरक्षण को प्राथमिकी दी जानी चाहिए। कोर्ट के इस आर्डर में एक शब्द यह लिख गया कि विदेश से हिन्दुस्तान में चीता लाना ‘इल्लीगल’ यानि अवैधानिक है। उसके बाद अफ्रीकी चीते अभी तक हिन्दुस्तान नहीं लाए जा सके।

दरअसल, एशियाई चीते 1950 में देश में विलुप्त हो गए थे। वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने जुलाई 2010 में भारत में अफ्रीकी चीते लाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने 300 करोड़ रुपये के चीता संरक्षण कार्यक्रम के तहत देश में अफ्रीकी चीते लाने का प्रस्ताव तैयार किया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आर्डर के बाद इस परियोजना पर अमल न हो सका। अब इस मामले में एक पुनर्विचार याचिका सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। हाल ही में इस याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने माना है कि पूर्व में हुए आर्डर में इल्लीगल शब्द पर बहस की जा सकती है। कोर्ट के रुख में आई तब्दीली को बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है। डब्लूआईआई के वैज्ञानिक लगातार इस प्रयास में हैं कि सुप्रीम कोर्ट उनके तथ्यों से सहमत हो और अफ्रीकी चीते दक्षिण अफ्रीका प नामीबिया से हिन्दुस्तान में लाए जा सकें

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