गूलर के औषधीय लाभ, देवता भी करते हैं इसका सेवन

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“गूलर में पित्तशामक, तृषाशामक, श्रमहर, कब्ज मिटाने वाले पौष्टिक गुण पाए जाते हैं और इसके साथ ही यह मीठा भी बहुत होता है। गूलर की जड़ में रक्तस्राव रोकने और जलन को शांत करने के गुण होते हैं।”

फल हमारे शरीर में पोषक तत्त्वों की पूर्ति कर कमजोरी दूर करने में लाभदायक साबित होते हैं। कई फल हमारे लिए काफी सेहतमंद पाए जाते हैं, लेकिन हमें उनके बारे में या तो मालूम नहीं होता या फिर हमें उनके बारे में अधिक जानकारी नहीं होती। इन्हीं में से एक फल है गूलर।

गूलर सैकड़ों औषधीय गुणों से भरपूर है। गूलर कच्चे फल हरे रंग के और पके फल लाल रंग के होते है। गूलर के वृक्ष के सभी अंगो में दूध भरा होने के कारण किसी भी धारदार चीज से कटे स्थान पर दूध निकलने लगता है। गूलर में पित्तशामक, तृषाशामक, श्रमहर, कब्ज मिटाने वाले पौष्टिक गुण पाए जाते हैं और इसके साथ ही यह मीठा भी बहुत होता है। गूलर की जड़ में रक्तस्राव रोकने और जलन को शांत करने के गुण होते हैं। गूलर के नियमित सेवन से शरीर में पित्त एवं कफ का संतुलन बना रहता है और व्यक्ति पित्त एवं कफ दोष से दूर रहता है। गूलर के कच्चे फल की सब्जी बनाई जा सकती है और पके फल को आसानी से खाया जा सकता है। इतना ही नहीं इसकी छाल का चूर्ण बनाकर गैस और कब्ज जैसी समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। अगर आप भी गूलर के फायदों से अनजान हैं, तो हम आपको इस फल के ऐसे कुछ फायदों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्हें जानकर आप हैरान रह जाएंगे।

स्ट्रॉक से बचने में मिलती है मदद
हमारे मस्तिष्क को काम करने के लिए पोटाशियम की जरूरत होती है। पोटाशियम की अधिक मात्रा हमारे मस्तिष्क के संज्ञानात्मक कार्यों को बढ़ा कर आक्सीजन के प्रवाह में मदद करती है, जिस कारण स्ट्राक को रोकने में मदद मिलती है। गूलर में पाई जाने वाली पोटाशियम की अधिक मात्रा हमारे शरीर में वासोडिलेटर की तरह काम करती है, जो रक्त वाहिकाओं को आराम देते हुए रक्त के प्रवाह को बढ़ाती है, जिसके कारण स्ट्रोक का खतरा कम हो जाता है।

बवासीर में फायदेमंद
बवासीर जैसी घातक बीमारी में गूलर का फल स्वास्थ्यवर्द्धक साबित हो सकता है।
आप गूलर के तने के दूध को पीकर बवासीर जैसी समस्या से छुटकारा पा सकते हैं। अगर मरीज को खूनी बवासीर है, तो उसे गूलर के ताजा पत्तों का रस पिलाना चाहिए। कई
दिनों तक लगातार ऐसा करने से इस समस्या से छुटकारा मिल सकता है।

पित्त रोगों को करे दूर
अगर आप पित्त रोग से परेशान हैं, तो गूलर फल के पत्तों के चूर्ण को शहद के साथ खाने से यह समस्या दूर होती है।

कैंसर की रोकथाम में लाभकारी
गूलर में पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट और एंटी कैंसर गुण हमारे शरीर के लिए बेहद लाभकारी है। अगर नियमित रूप से गूलर के पेड़ से निकले रस का सेवन किया जाए, तो हमारे शरीर में बनने वाले कैंसर सैल्स को नष्ट किया जा सकता है।

मधुमेह में लाभकारी
जो लोग मधुमेह यानि की डायबिटीज से ग्रसित हैं वह पानी के साथ गुलर के फल को पीस लें और इसका सेवन नियमित करें। कुछ ही दिनों में आप इस बीमारी से मुक्त हो जाएगें।

दंत रोग :
दंत रोग में हमें गूलर के 2-3 फल पानी में उबालकर काढ़ा बनाकर इसके काढ़े से कुल्ला करना चाहिए। इससे हमारे दांत व मसूढ़े स्वस्थ तथा मजबूत रहते है।
गूलर के नियमित सेवन से शरीर में पित्त एवं कफ का संतुलन बना रहता है। पित्त रोगों में इसके पत्तों के चूर्ण का शहद के साथ सेवन भी फायदेमंद होता है।

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