कमलनाथ सरकार का बड़ा एक्शन : 3000 करोड़ रु के ई-टेंडरिंग घोटाला मामले में ऑस्मो कंपनी के तीन डायरेक्टर गिरफ्तार
भोपाल में मानसरोवर कॉम्पलेक्स में स्थित है कंपनी का ऑफिस
बुधवार को ईओडब्लयू ने आठ कंपनियों के खिलाफ दर्ज किया था मामला
भोपाल। ई-टेंडरिंग घोटाले में राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो यानी ईओडब्लयू की टीम ने ऑस्मो कंपनी के तीन डायरेक्टर विनय चौधरी, वरुण चौधरी और सुमित गोलवलकर (मार्केटिंग) को विन को गिरफ्तार कर लिया है। आज गुरुवार को ईओडब्लयू की टीम भोपाल में मानसरोवर कॉम्पलेक्स स्थित कंपनी के ऑफिस में जांच के लिए पहुंचीं थी। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि कंपनी केवल डिजिटल सिग्नेचर ही नहीं बनाती है, बल्कि अखबार भी निकालती है। जिसमें टेंडर्स की जानकारी दी जाती है।
बता दें कि कल ही मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार ने शिवराज सरकार के समय हुए ई-टेंडरिंग घोटाले मामले में बड़ा एक्शन लेते हुए एफआईआर दर्ज की थी। मध्य प्रदेश में अभी इनकम टैक्स की रेड का मामला ठंडा भी नहीं पड़ा था कि राज्य सरकार की आर्थिक अपराध शाखा यानी इकोनॉमिक ऑफेंस विंग ने ई-टेंडरिंग घोटाले में कार्रवाई कर दी। कथित तौर पर यह घोटाला शिवराज सरकार के समय हुआ था।
जानकारी के मुताबिक, जिन पर एफआईआर हुई है, उनमें जल निगम, पीडब्ल्यूडी, मध्य प्रदेश सड़क विकास निगम, जल संसाधन विभाग के अफसरों के साथ ही 8 कंपनियों के निदेशक भी शामिल बताए जा रहे हैं। आईपीसी की धारा 420, 468, 471, 120 बी, आईटी एक्ट की धारा-66 के अलावा कई अन्य धाराओं में मामला दर्ज किया गया है।
कंपनियों को दिए 3000 करोड़ रु. के टेंडर :
ई-टेंडर घोटाले की जांच लंबे समय से अटकी हुई थी। इसमें जल निगम के तीन हजार करोड़ रुपए के तीन टेंडर में पसंदीदा कंपनी को काम देने के लिए टेंपरिंग करने का आरोप था। ईओडब्ल्यू ने कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम को एनालिसिस रिपोर्ट के लिए 13 हार्ड डिस्क भेजी थी। इसमें से तीन में टेंपरिंग की पुष्टि हो चुकी है।
इन आठ कंपनियों के संचालकों पर एफआईआर :
हैदराबाद की कंस्ट्रक्शन कंपनियों- जीवीपीआर लिमिटेड, मैक्स मेंटेना लिमिटेड, मुंबई की कंस्ट्रक्शन कंपनियां- ह्यूम पाइप लिमिटेड, जेएमसी लिमिटेड, बढ़ौदा की कंस्ट्रक्शन कंपनी- सोरठिया बेलजी प्राइवेट लिमिटेड, माधव इन्फ्रो प्रोजेक्ट लिमिटेड और भोपाल की कंस्ट्रक्शन कंपनी राजकुमार नरवानी लिमिटेड के संचालकों, भोपाल स्थित साफ्टवेयर कंपनी ऑस्मो आईटी सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के संचालक शामिल हैं। एमपीएसईडीसी, मप्र के संबंधित विभागों के अधिकारी एपवं कर्मचारियों के साथ ही एंट्रेस प्राइवेट लिमिटेड बंगलुरू और टीसीएस के अधकिरी एवं कर्मचारी शामिल हैं।
शिवराज सरकार में हुए ई-टेंडरिंग घोटाले
इकोनॉमिक ऑफेंस विंग के डीजी के मुताबिक करीब 3 हज़ार करोड़ के ई-टेंडरिंग घोटाले में नई दिल्ली के कम्प्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम के आधार पर एफआईआर दर्ज की गई है। इसमें पाया गया कि ई-प्रोक्योरमेंट पोर्टल में छेड़छाड़ करके कुछ कम्पनियों को लाभ पहुंचाया गया।
तिवारी ने बताया कि मामले में मध्य प्रदेश सरकार के अलग-अलग विभागों के कर्मचारियों और अधिकारियों के अलावा 7 कम्पनियों के डायरेक्टर्स, अज्ञात राजनेताओं और ब्यूरोक्रेट्स के खिलाफ आईपीसीसी की धारा 120 (बी), 420, 468 और 471 के अलावा आईटी एक्ट-2000 की धारा 66 और भ्रष्टाचार निवारण (संशोधन) 2018 की धारा 7 के तहत मामला दर्ज किया गया है।
क्या है ई-टेंडरिंग घोटाला
मध्य प्रदेश के अलग-अलग विभागों में टेंडर प्रक्रिया में भ्रष्टाचार रोकने के लिए ई-टेंडर व्यवस्था शुरू की गई थी। इसके लिए ई-प्रोक्योरमेंट पोर्टल बनाया गया था, लेकिन आरोप है कि इसमें छेड़छाड़ करके करोड़ों रुपये के घोटाले को अंजाम दिया गया।