अपनी मांगों को लेकर उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों ने किया मुख्यमंत्री आवास कूच
UK Dinmaan
उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच ने अपनी सात सूत्रीय मांग के निराकरण को लेकर मुख्यमंत्री आवास कूच किया। इस दौरान पुलिस से कई जगह तीखी नोकझोंक हुई। पुलिस के पांच बैरियर तोड़ने के बाद आंदोलनकारी हाथीबड़कला पहुंचे, जहां प्रदर्शन सभा में बदल गया। इस दौरान मंच के 11 लोगों ने मुख्यमंत्री आवास पहुंचकर प्रतिनिधि से वार्ता की। एक सप्ताह के भीतर मांगों पर सकारात्मक कार्रवाई के भरोसे पर धरना समाप्त किया।
वर्ष 2010 के बाद मंगलवार को प्रदेश की सड़कों पर बड़ी संख्या में राज्य आंदोलनकारी आंदोलित दिखे। युवाओं के अलावा बुजुर्ग पुरुष और महिलाएं भी रैली में शामिल हुए। मुख्यमंत्री आवास कूच के लिए परेड ग्राउंड से रैली शुरू हुई। रैली को पुलिस ने पहले कनक चौक पर दो जगह बैरियर लगाकर रोकना चाहा, लेकिन यहां गुस्साए आंदोलनकारियों ने बैरियर हटाकर आगे बढ़ गए। इसके बाद पुलिस ने सुभाष रोड स्थित सेंट जोजफ के सामने बैरियर पर रोकने की तैयारी की गई, लेकिन आंदोलनकारियों ने पुलिस की रणनीति को फेल करते हुए ग्लोबल चौक की तरफ बढ़ गए।
इस दौरान पुलिस फोर्स ने आंदोलनकारियों को रोकने की कोशिशें की गई, मगर धक्का-मुक्की और तीखी नोकझोंक होने के बाद पुलिस रोक नहीं पाई। इसके बाद राजपुर रोड होते हुए आंदोलनकारी दिलाराम चौक पहुंचे, जहां से नारेबाजी के साथ सीधे हाथीबड़कला पहुंचे। यहां पुलिस ने भारी फोर्स और बैरियर लगाते हुए आंदोलनकारियों को रोक दिया। इस दौरान कई आंदोलनकारी जबरन बैरियर पर चढ़ने लगे। यहां एसपी सिटी श्वेता चौबे ने मोर्चा संभालते हुए आंदोलनकारियों के चारों तरफ पुलिस का घेरा बना दिया।
बाद में प्रदर्शन सभा में तब्दील हो गया। करीब एक घंटे तक आंदोलनकारी सड़क पर सांकेतिक धरने में बैठ गए। मंच के जिलाध्यक्ष प्रदीप कुकरेती ने बताया कि मुख्यमंत्री के प्रतिनिधि के रूप में सलाहकार रमेश भट्ट ने वार्ता के लिए बुलाया। जहां आधे घंटे तक एक-एक बिंदुओं पर वार्ता हुई। मुख्यमंत्री ने भी दूरभाष पर मांगों के निराकरण का भरोसा दिया। सीनियर नौकरशाह की मौजूदगी में मांगों पर कार्रवाई का भरोसा दिया गया। इसके बाद आंदोलनकारी मान गए।
आंदोलनकारियों की प्रमुख मांगे-
गैरसैंण को में स्थायी राजधानी बनाई जाए।
राज्य आंदोलन के शहीदों को न्याय दिलाने की पैरवी तेज की जाए।
आंदोलनकारियों को पूर्व से मिल रहे 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण लागू किया जाए।
सम्मान परिषद का कार्यालय को जल्द बहाल किया जाए।
आंदोलनकारियों को मिलने वाली बस सेवा का लाभ यथावत रखा जाए।
आंदोलनकारियों के चिह्निकरण की कार्रवाई शुरू की जाए।
आंदोलनकारियों के बीच भेदभाव समाप्त कर एक जैसी पेंशन दी जाए।
भ्रष्टाचार के खिलाफ राज्य में लोकायुक्त कानून लागू किया जाए।