यहां साक्षात दर्शन देते हैं शनिदेव
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उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में एक गांव है खरसाली यहीं पर स्थित है एक प्राचीन शनिदेव मंदिर जिन्हें एक पौराणिक कथा के अनुसार पवित्र नदी यमुना का भाई माना जाता है। शनिदेव को न्याय का देवता माना जाता है, और उन्हें दंडाधिकारी माना जाता है जो हर कर्मों का हिसाब करते हैं। यह मंदिर समुद्र तल से लगभग 7000 फुट की ऊंचाई पर स्थित है। यह मंदिर काफी प्राचीन है, जो इसकी बनावट और यहां बनी कलाकृतियों से भी स्पष्ट है।
किवदंतियों के अनुसार मंदिर में साल में एक बार कार्तिक पूर्णिमा के दिन शनिदेव प्रकट होते हैं, कहा जाता है की इस दिन शनिदेव के ऊपर रखे घड़े या कलश खुद ही बदल जाते हैं। ऐसा कैसे होता है ना तो आजतक किसी ने इसे देखा है और ना ही इसके बारे में किसी को कोई जानकारी है। ये भगवान का चमत्कार ही माना जाता है। लोगों के अनुसार जो भक्त मंदिर में दर्शन के लिए आता है उसके कष्ट हमेशा के लिए खत्म हो जाते हैं।
नदी की तरफ चलने लगते हैं फूलदान
जैसे कहा जाता है कि साल में एक बार कार्तिक पूर्णिमा के दिन इस मंदिर में शनि देव के ऊपर रखे घड़े या कलश खुद बदल जाते है। ये कैसे होता है इस बारे में अब तक लोगों को कोई जानकारी नहीं है, लेकिन विश्वास है कि इस दिन जो भक्त मंदिर में दर्शन के लिए आता है उसके कष्ट हमेशा के लिए समाप्त हो जाते हैं। ऐसी ही दूसरी कथा है कि मंदिर में दो बड़े फूलदान रखे है, जिनको रिखोला और पिखोला कहा जाता है। ये फूलदान जंजीर से बांध कर रखे जाते हैं। आप सोचेंगे कि ऐसा क्यों, तो इस बारे में एक कहानी प्रचलित है कि पूर्ण चन्द्रमा के दौरान ये फूलदान नदी की तरफ चलने लगते हैं और बांध के ना रखने पर अलोप हो जायेंगे।
अपनी बहन से मिलने जाते हैं शनिदेव
खरसाली में यमनोत्री धाम भी है जो की शनि धाम से करीब 5 किलोमीटर बाद पड़ता है। यमुना नदी शनि की बहन मानी जाती है। खरसाली में मौजूद शनि मंदिर में प्रतिवर्ष बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। कहा जाता है की इस मंदिर में शनि देव 12 महीने तक विराजमान रहते हैं। इसके अलावा हर साल अक्षय तृतीय पर शनि देव अपनी बहन यमुना से यमुनोत्री धाम में मुलाकात करके खरसाली लौटकर आते हैं।
पांडवों ने बनवाया था ये मंदिर
अगर मंदिर से जुड़ी कहानियों और इतिहासकार के विचारों की मानें तो यह स्थान पांडवों के समय का माना जाता है और इसीलिए कहा जाता है कि इसका निर्माण पांडवो ने करवाया है। इस पांच मंजिला मंदिर के निर्माण में पत्थर और लकड़ी का उपयोग किया गया है। इसीलिए ये बाढ़ और भूस्खलन से सुरक्षित रहता है। बाहर से देखने पर आभास नहीं होता है कि ये कोई पांच मंजिल की इमारत है। मंदिर में शनिदेव की कांस्य मूर्ति शीर्ष मंजिल पर स्थापित है। इस शनि मंदिर में एक अखंड ज्योति भी मौजूद है। ऐसी मान्यता है कि इस अखंड ज्योति के दर्शन मात्र से ही जीवन के सारे दुख दूर हो जाते हैं।