मुख्यमंत्री के ओएसडी के खिलाफ गबन की शिकायत कोर्ट में दर्ज

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प्रदेश के मुख्यमंत्री के विशेषाधिकारी जे. सी. खुल्वे सहित 4 अधिकारियों द्वारा किये गये 70 लाख रूपये के घोटाले के मामले में न्यायालय ने संज्ञान लेते हुए तुरंत इस मामले में मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत के विशेषाधिकारी जे सी खुल्वे सहित 4 अधिकारियों पर मामला दर्ज कर जांच करने के आदेश दिये। न्यायालय ने इस मामले की अगली सुनवाई 5 फरवरी को करने का ऐलान किया।

बता दें कि सितंबर 2018 में पूर्व सहायक कृषि अधिकारी रमेश चंद चौहान ने अदालत में कृषि विभाग से जुड़े अधिकारियों पर कार्रवाई को प्रार्थनापत्र दाखिल किया था। रमेश चंद चौहान ने इस मामले की पूरी जानकारी सूचना के अधिकार के तहत इसकी जानकारी हासिल की। चौहान ने इस मामले पर कार्यवाही के लिए पुलिस प्रशासन से फरियाद की किन्तु मामला हाई प्रोफाइल होने के कारण पुलिस ने दर्ज ही नहीं किया। जिस कारण रमेश चंद चौहान ने न्यायालय से गुहार लगाई।

रमेश चंद चौहान ने न्यायालय में जो प्रार्थना पत्र दाखिल किया है वह चौकानें वाला है। सन् 2015 में तत्कालीन भूमि संरक्षण अधिकारी, चकराता जेसी खुल्बे ने तत्कालीन निदेशक कृषि गौरीशंकर, मुख्य कर अधिकारी विजय देवराड़ी और सहायक कृषि अधिकारी ओमवीर सिंह के साथ मिल कर आईडब्ल्यूएमपी (समेकित जलागम प्रबंधन) और राष्ट्रीय जलागम विकास योजना के तहत विभिन्न योजनाओं में षडयंत्र के तहत तमाम फर्जी बिल और मजदूरी प्रमाणपत्र आदि बनाये। इस योजना में व्यय का लेखा-जोखा और धन निर्गत करने की जिम्मेदारी मुख्य कर अधिकारी विजय देवराड़ी और गौरीशंकर की थी।

जांच में पता चला कि इन कार्यों में जिन लोगों को मजदूरी करना दर्शाया गया है उनमें कुछ दिव्यांग हैं तो कुछ कॉलेजों के छात्र हैं। भौतिक सत्यापन में ये सारी बातें पुष्ट हुईं। उस वक्त शासन के आदेश पर जांच भी हुई। पांच सदस्यीय समिति ने इसकी रिपोर्ट तैयार की, जिसमें फर्जीवाड़े की पुष्टि हुई। इस तरह के फर्जीवाड़े से इन योजनाओं के अंतर्गत कुल 70 लाख रुपये का गबन किया गया। पता चला जिस धनराशि के लिए अधिकारियों की अनुमति जरूरी है, उसे प्रधानों और वार्ड मेंबरों ने भी जारी किया था।

न्यायालय द्वारा मुख्यमंत्री के विशेषाधिकारी के भ्रष्टाचार की जांच कराने के निर्देश सुनते ही प्रदेश में भ्रष्टाचार के मामले में जीरों टालरेंस की हुंकार भरने वाली सत्तासीन भाजपा सरकार बैंक फुट पर है।

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