हाउस टैक्स को लेकर नये और पुराने मेयर में तकरार

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देहरादून। राज्य के सबसे बड़े निगम देहरादून नगर निगम में बीजेपी ने परचम लहराया है लेकिन लगता है उत्तराखंड बीजेपी में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। बीजेपी में तकरार की सुगबुहाहट गाहे-बगाहे बाहर आ ही जाती है। ताजा मामला नए और पुराने मेयर का है।

देहरादून में हाउस टैक्स की बढ़ी हुई दरों को लेकर देहरादून के नये और पुराने मेयर आमने सामने आ गये। कुर्सी सम्भालते ही मेयर सुनील उनियाल गामा बड़े हाउस टैक्स को लेकर पुराने बोर्ड पर ही तंज कसना शुरू कर दिया।

गामा ने कहा कि पुराने बोर्ड ने हाउस टैक्स की दरें 40 फीसदी तक बढ़ाने का प्रस्ताव किया था लेकिन उन्होंने मात्र 20 फीसदी पर मुहर लगाई है।
यहां शायद बीजेपी के नव निर्वाचित मेयर गामा यह भूल गए कि देहरादून नगर निगम में दस साल से बीजेपी का कब्जा रहा है और पुराना बोर्ड उन्हीं की पार्टी का था। जाहिर है कि यह बात दस साल तक देहरादून के मेयर रहे धर्मपुर से विधायक विनोद चमोली को कैसे अच्छी लगती।

चमोली ने नये मेयर गामा पर तंज कसते हुए कहा कि शायद नव निर्वाचित मेयर नहीं जानते कि हाउस टैक्स के मामले में निगम प्रशासन ही दरें तय करता हैं। उन्होंने यह भी कहा कि हाउस टैक्स के मामले में जल्दबाजी दिखाई गई है। चमोली ने कहा कि बोर्ड को एक बार हाउस टैक्स का रिवीजन करना चाहिए था क्योंकि टैक्स बढ़ोत्ततरी वार्ड नहीं बल्कि इलाकों को देख कर रेट तय करने चाहिए थे।

ऐसे में नये मेयर पर सवाल उठना लाजमी है अच्छा तो यह होता कि नए मेयर दस साल तक देहरादून की नगर निगम चलाने वाले अपनी ही पार्टी के साथी से समस्याएं समझ लेते। ऐसे में ऐसा न हो कि जल्दबाजी में उठाया गया यह कदम नये मेयर गामा को भारी न पड़ जाए।

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