चौकीदार नहीं, महापौर चाहिए
UK Dinmaan
मेयर सुनील उनियाल गामा ने चुनाव के दौरान कहा था कि मैं चौकीदार बनकर शहर में काम करूंगा। भाजपा पार्टी का समर्पित कार्यकर्ता होना, सबको साथ लेकर चलना, मेरी ताकत हैं। आज यूँ कहे कि अब मेयर साहब प्रधानमंत्री मोदी पद चिह्नों पर चलकर छोटी सरकार चलाना चाहते है। सवाल यही से शुरू होते है, देहरादून नगर निगम की आबादी में राजधानी बनने के बाद बढ़ी तेजी से बढ़ी है लेकिन मूलभूत सुविधा जस की तस बनी हुई। दून में आज अवैध कब्जे और मलिन बस्तियां की बाढ़ है। उत्तराखण्ड बनने के बाद से पूरा दून शहर अतिक्रमण की जद में है। यहां पर बहने वाले रिस्पना व बिन्दाल नदियां आज एक नाले के रूप में परिवर्तित हो चुकी है। पूरा शहर यातायात और गंदगी की समस्या से हमेशा जूझता रहता है।
सवाल यही है कि आम नागरिक नगर निगम से क्या उम्मीदें रखता है सिर्फ यही कि शहर साफ सुथरा हो, शहर में कूड़ा उठाने की रोज व्यवस्था हो, नालियां साफ हों, शहर में पार्किंग की व्यवस्था हो, जगह-जगह सुलभ शौचालय हो, सड़कों में लाइटों की व्यवस्था हो, सड़कें और नालियां हो इसके अतिरिक्त और कुछ नहीं।
100 वार्डों में व्यवस्था को बनाए रखने के लिए निगम प्रशासन व मेयर गामा के लिए मुश्किल ही नहीं चुनौती भी है। नए वार्डों के चलते निगम प्रशासन को सफाई व्यवस्था, घरों से कूड़ा लेने आदि कार्यों के लिए नए सिरे से योजना बनानी पड़ सकती है। इसके लिए नई सोच और कुछ करने की ललक व इरादों की जरूरत है। मेयर साहब अब कोई बहाना नहीं चलेगा क्योंकि आज प्रदेश में बड़ी सरकार भी आपकी है। मेयर साहब उत्तराखण्ड की जनता ने इलैक्ट्रिक इंजन के साथ डीजल इंजन तो पहले ही जोड़ दिया था अब धुंये का इंजन भी विकास रूपी एक्सप्रेस को खीचनें/धक्का देने के लिए जोड़ दिया है। बस विकास देखना बाकि है?
मेयर साहब दून की जनता को न चौकीदार चाहिए न भाजपा पार्टी के समर्पित कार्यकर्ता। मेयर साहब आज जनता ने आपको ‘अपना साथ, अपनी ताकत’ दे दी, आज जनता को खुद के प्रति समर्पित महापौर चाहिए। जो ‘स्वच्छ दून सुन्दर दून’ के सपने को साकार करें। बस इतनी उम्मीद है आप से ..।