दून की सड़कों पर दौड़ते जुगाड, लगा रहे राजस्व को चुना

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दो पहिया निजी वाहनों को खासकर मोटरसाईकिल को कमर्शियल बनाकर उपयोग में लाया जाना आजकल देहरादून में आम हो गया। जिसे देशी भाषा में जुगाड कहा जाता है। देहरादून के किसी भी क्षेत्र यहां तक दून के दिल कहे जाने वाले घण्टाघर में भी ये जुगाड आसानी से माल ढोते नजर जा जाते है।

नाम ना छापने की शर्त पर मिस्त्री ने बताया अधिकतर पुरानी बाइक के इंजन के साथ छोटे ठेले व रिक्शा को जोड़कर जुगाड़ तैयार किया जाता है। इनको बनाने में 15 से 20 हजार रूपये की लागत आती है। यहां यह बात भी सामने आई कि अधिकतकर चोरी होने वाले दुपहिया वाहनों के स्पेयर पार्टो का उपयोग इन जुगाड़ से चलने वाहनों में किया जाता है।

इस प्रकार के जुगाड़ द्वारा तैयार वाहनों का शहर में मुख्य ट्रैफिक के बीच चलाना बेहद खतरनाक साबित होता है क्योंकि माल ढोने हेतु मोटरसाईकिल पर लगी इनकी चैसिस काम चलाऊ होती है साथ ही इनकी ब्रेकिंग सिस्टम भी काम चलाऊ होते है। जिस कारण यह सड़क पर लोगों की सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा है। वहीं इन जुगाड़ द्वारा तैयार वाहनों में नम्बर प्लेट तक भी नहीं होती।

बता दें कि मोटर व्हीकल्स एक्ट 1988 के तहत फैक्ट्री मॉडल में किया गया कोई भी बदलाव गैरकानूनी है। व्हीकल के वजह को 10 फीसदी तक बढ़ाने वाला कोई भी बदलाव मैन्युफैक्चरर और रीजनल ट्रांसपोर्ट आफिस के संज्ञान के साथ होना चाहिए। अन्यथा आपकी गाड़ी को आरटीओ या पुलिस द्वारा जब्त किया जा सकता है, साथ आपको जुर्माना भी देना पड़ सकता है। वहीं गाड़ी मॉडिफाई करने वाले वाहन मालिक और मॉडिफिकेशन करने वाले कारीगर दोनों को जेल भी हो सकती है। भारत शासन की अधिकृत एजेंसी एआरएआई के अनुसार कंपनी द्वारा तैयार वाहन के मॉडल में किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ अपराध की श्रेणी में आता है।

एक ओर जहां दून में सड़कों पर ट्रैफिक नियमों सीपीयू व पुलिस दोपहिया वाहन में बिना हेलमेट बैठी पीछे की सवारी चालन काटने में व्यस्थ रहती है। वहीं ये जुगाड़ वाहन ट्रैफिक नियमों की धज्जियां उड़ाते बिना नम्बर प्लेट व बिना हेलमेट के वाहन चलते हुए सीपीयू व पुलिस के सामने से बेधड़ गुजरते देखे जा सकते है। आखिर सीपीयू व पुलिस किसके दबाव है जो इन जुगाड से निर्मित वाहनों पऱ कार्रवाही करने से बचती है।

ट्रैफिक नियमों की धज्जियां उड़ाने व राजस्व को चुना लगाते के साथ-साथ लोंगों की सुरक्षा के लिए खतरा बनते इन जुगाड़ों को यदि अभी से रोका नहीं गया तो भविष्य में बिजनौर व सहारनपुर की भांति देहरादून जैसे सुन्दर शहर की सड़कों पर इन गुजाड़ों का राज होते देर नहीं लगेगी।

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