रिस्पना पुनर्जीवीकरण अभियान में जुटे लोग

UK Dinmaan

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने आज रिस्पना नदी के पुनर्जीवीकरण अभियान का शुभारम्भ किया। रिस्पना के पुनर्जीवीकरण में आज हजारों की संख्या में बच्चों, युवाओं, महिलाओं व बुजुर्गों ने पूरे जोश के साथ सहभागिता की। इस अभियान के तहत 2.50 लाख पौधों का रोपण किया जा रहा है। जिसकी शुरूआत केरवान गांव से की गई। इसके बाद मुख्यमंत्री ने मोथरोवाला में भी पौधारोपण किया। मोथरोवाला में रिस्पना के किनारे सद्भावना वाटिका विकसित की जा रही है। इस अभियान को देहरादून के सभी शिक्षण संस्थाओं, स्वयं सेवी संस्थाओं, विभिन्न संस्थानों, विभागों के साथ ही आम जन सहभागिता के द्वारा संचालित किया जा रहा है।

रिस्पना नदी को ऋषिपर्णा के स्वरूप में पुनर्जीवित करने के अभियान की सफलता के लिए मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने सभी से मिल रहे सहयोग पर आभार जताया। उन्होंने कहा कि जन सहभागिता को जिसमें बच्चे, युवा, महिलाएं, बुजुर्ग सभी लोग जिस उत्साह से भाग ले रहे है उससे पूरा विश्वास है कि हम नदियों के पुनर्जीवन में अवश्य सफलता प्राप्त करेंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने एक छोटा सा संकल्प लिया था कि हम रिस्पना को पुनर्जीवित करने का प्रयास करेंगे और मुझे यह देखकर बेहद खुशी है कि भगीरथ की इस धरती पर हमारी नदियों को बचाने के लिए वास्तव में आमजन द्वारा भगीरथ प्रयास होने लगे हैं।

जिलाधिकारी देहरादून ने बताया कि मिशन रिस्पना टू ऋषिपर्णा अभियान के तहत आज केरवान गांव तथा उसके आसपास 39 ब्लॉक में खड़ीक, अमलतास, कनजी, कंजू, शीशम, कचनार, बांस, बेलपत्र, संदन, आंवला, हरड़, बहेड़ा, तेजपात, महल, टिकोमा, पिलन इत्यादि 18 से अधिक विभिन्न प्रजातियां के वृक्षों का रोपण किया गया। इससे पूर्व जनपद में नामित विभिन्न नोडल अधिकारियों के माध्यम से राजकीय उद्यान सर्किट हाउस नर्सरी से कटहल, आम, अमरूद, संतरा, कागजी नींबू, लीची, किन्नू, बारहमासी इत्यादि फलदार पौधों को जनपद में स्थित विभिन्न सरकारी और गैर सरकारी विद्यालयों के बच्चों को वितरित किया गया। इस अभियान में नगर निगम, वन, इको टास्क फोर्स, सिविल डिफेंस, सेना, आईटीबीपी के साथ ही लोक निर्माण विभाग, सिंचाई, जल संस्थान, सूचना विभाग, जिला आपूर्ति, पंचायती राज, ग्रामीण विकास, पेयजल, इत्यादि सहित जनपद के सभी विभागों ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। विभिन्न केंद्रीय संस्थानों, राज्य में स्थित संस्थान, गैर सरकारी व सरकारी विद्यालयों के साथ ही विभिन्न गैर सरकारी संगठन, मीडिया इत्यादि की भी उल्लेखनीय भूमिका रही।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *