चाल-खालों को पुनर्जीवन करने का युवाओं ने लिया संकल्प

पानी के संकट को देखते हुए दुनियाभर में जल संवर्द्धन और संरक्षण के लिए व्यापक स्तर पर कवायद चल रही है। ऐसे में चैंदकोट के संघर्षशील युवाओं ने पहाड़ के सूखते जल स्रोतों और भविष्य के पेयजल संकट से चिंतित होते हुए पुरखों के बनाए चाल-खालों को हाथों में गैंती व बेलचे लेकर पुनर्जीवन देने का संकल्प लिया।

सात दशक पूर्व वर्ष 1951 में इस क्षेत्र के हजारों पुरुषार्थियों ने श्रमदान के बूते चंद दिनों में ही 30-30 किमी के मोटर मार्गों का निर्माण कर देश-दुनिया को श्रमशक्ति की अहमियत बता दी थी। और आज चैंदकोट क्षेत्र में पानी की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है।

इन हालात से व्यथित क्षेत्र के युवाओं ने अपने क्षेत्र के चाल-खालों को पुनर्जीवन देने का जीवट संकल्प ले कर एक सराहनीय कार्य की पहले शुरू की।

इस कड़ी में अपर जिलाधिकारी रामजी शरण ने फावड़े से गड्ढा खोदकर चैबट्टाखाल से युवाओं की इस मुहिम की शुरुआत की। उन्होंने कहा कि प्रकृति का संरक्षण प्रत्येक व्यक्ति का दायित्व है। जिस तेजी से विश्व में जल संकट बढ़ रहा है, उसे देखते हुए जरूरी है कि प्राकृतिक स्रोतों के संवर्द्धन को गंभीर प्रयास किए जाएं।

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