परिवहन विभाग में गड़बड़ झाला कहां गये 35 करोड, किसी को पता नहीं
UK dinmaan
देहरादून। आॅनलाइन जमा किए गए उत्तराखंड परिवहन विभाग के टैक्स के 35 करोड़ रुपये राज्य के समेकित निधि खाते में पहुंचने के बजाय, किसी को खबर नहीं कहां चले गए। उसी दिन टैक्स नियमानुसार समेकित खाते में पहुंचना चाहिए। यह मामला सूत्रों के अनुसार अप्रैल से सितंबर तक जमा किए गए आॅनलाइन टैक्स से जुड़ा हुआ है। शुरुआत में इस पर ध्यान नहीं दिया गया, बाद में जब पड़ताल की गई तो पता चला कि करीब 35 करोड़ का राजस्व सरकारी खाते में नहीं पहुंचा। इसके बाद शासन स्तर पर वित्त और परिवहन विभाग के अफसरों की मीटिंग भी हुई है। इसके अलावा परिवहन विभाग की समीक्षा भी मीटिंग में यह मुद्दा उठ चुका है।
इसके विपरीत इसके खाते में न जाने का सिलसिला महीनों तक चलता रहा और किसी को खबर तक नहीं लगी। अब खुलासा होने के बाद अब परिवहन विभाग से लेकर शासन तक में खलबली मच गई है। 35 करोड़ की भारी-भरकम राशि कहां गई है, अब उसका पता किया जा रहा है। इस मामले में एसबीआई ने हाथ खड़े कर दिए हैं, अब रिजर्व बैंक आॅफ इंडिया ;आरबीआईद्ध से मदद मांगी गई है। जानकारी के मुताबिक परिवहन विभाग में तीन प्रकार के टैक्स आॅनलाइन जमा होते हैं। पहला दूसरे राज्यों से आने वाले वाहन का टैक्स जमा किया जाता है।
इसके अलावा राज्य के कामर्शियल वाहनों ;टैक्सी, बस आदिद्ध का संचालन करने वाले भी टैक्स आॅनलाइन जमा करते हैं। तीसरा नए वाहन की रजिस्ट्रेशन फीस भी डीलर प्वाइंट ;अभी यह सुविधा केवल देहरादून में हैद्ध व्यवस्था के तहत आॅनलाइन जमा किया जाता है। यह टैक्स, फीस एसबीआई के माध्यम से जमा होती है, जिसके बाद आरटीओ, एआरटीओ कार्यालय में वाहन से जुड़े काम पूरे होते हैं। बाद में यह टैक्स एसबीआई के माध्यम से आरबीआई जाता है, जहां से राज्य के समेकित निधि खाते में राशि आती है। नियमानुसार यह राशि उसी दिन समेकित खाते में आनी चाहिए, लेकिन इस मामले में ऐसा हुआ नहीं। इस मामले में बताया जा रहा है कि एसबीआई से मदद मांगी गई तो उसने अपने यहां सभी प्रक्रिया सही ढंग से पूरी होने की बात कही और आगे मदद करने से हाथ खड़े कर दिए। स्थिति यह है कि इस मामले में कोई भी अधिकारी खुलकर बोलने को तैयार नहीं है। अपर सचिव परिवहन हरिचंद सेमवाल के अनुसार यह प्रकरण परिवहन मुख्यालय से जुड़ा है, वहीं से स्थिति पता चलेगी।