खाद्यान्न घोटाला में आरएफसी कुमाऊं बर्खास्त
UK Dinmaan
ऊधमसिंह नगर जिले में ही 600 करोड़ के खाद्यान्न घोटाले के रूप में बड़ा मामला उजागर हुआ है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के तुरन्त कार्रवाही के निर्देश पर आर.एफ.सी. कुमाऊं को बर्खास्त कर दिया गया है। रूद्रपुर, काशीपुर व किच्छा के गोदाम के सत्यापन के दौरान सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से सस्ता खाद्यान्न (गरीबों का खाद्यान्न) में गंभीर अनियमितताएं और दस्तावेजों में व्यापक स्तर पर गड़बड़ी पाये जाने पर यह कार्यवाही की गई है।
प्रारंभिक जांच तें जो तथ्य निकल कर सामने आये उनके अनुसार जिले में बीते दो सालों में जिस तरह सार्वजनिक वितरण प्रणाली के सस्ते चावल की महकमे के स्तर पर खरीद, आवंटन, वितरण में गड़बड़ियां पाई गई, उसमें विभागीय अधिकारियों व कर्मचारियों के साथ ही राजनीतिक संलिप्तता के संकेत मुख्यमंत्री ने भी दिए दिए हैं। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा है कि इस घोटाले में कितना भी बड़ा अधिकारी या नेता शामिल होगा, उसे बख्शा नहीं जाएगा। जरूरत पड़ी तो संबंधित आरोपियों के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई जाएगी। उधर, इस घोटाले के तार भी पिछली कांग्रेस सरकार से जुड़ने से प्रदेश की सियासत में भूचाल तय माना जा रहा है।
इसके अलावा राईस मिल के तत्कालीन डिप्टी आर.एम.ओ. सहित अन्य सभी संलिप्त अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ दो दिन के भीतर कठोर कार्यवाही के लिए प्रमुख सचिव एवं आयुक्त खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति को निर्देशित किया गया है।
राज्य के गरीब वर्ग को सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से सस्ता खाद्यान्न न मिलने एवं घटिया गुणवत्ता की शिकायत मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को मिली थी। इस पर मुख्यमंत्री ने गत 2 अगस्त, को एस.आई.टी. गठित करने के आदेश दिए थे। एस.आई.टी. की प्रारम्भिक जांच रिपोर्ट में सस्ता खाद्यान्न उपलब्ध न होने, दस्तावेजों में हेराफेरी करने के साथ ही अनेक स्तर पर गड़बड़ी व भ्रष्टाचार सामने आया है। यह अनियमितताएं पिछले 2 वर्षों में पाई गयी है। इससे सरकार को राजस्व में करोड़ो रूपये की हानि भी परिलक्षित हुई है। स्वच्छ भारत अभियान व भ्रष्टाचार मुक्त के नजरिये से प्रदेश मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने एक और बडा कदम उठाया है लेकिन सवाल आखिर बड़ी मछली कब जाल में फिसेगी।
जांच में पाया गया कि रुद्रपुर राज्य भंडारण निगम के गोदाम संख्या-दो में राज्य पोषित योजना के चावल के 8382 बोरे और कस्टमाइज्ड मिल राइस (सीएमआर) योजना के 4318 बोरे समेत कुल 12,700 बोरों में से सत्यापन में महज 10,668 बोरे ही पाए गए। यानी 2032 बोरे कहां गए, इसका ब्योरा ही दर्ज नहीं था। यही नहीं राज्य पोषित योजना से संबंधित चावल में 3680 बोरे ऐसे पाए गए, जिनमें अपठनीय दोहरी स्टेनसिल की छाप मिली। खाद्यान्न की गुणवत्ता भी घटिया पाई गई। इसी तरह की गड़बड़ियां किच्छा व काशीपुर के गोदामों में भी पाई गई। वहां भी बोरों के सत्यापन में गड़बड़ी मिली। चावल वितरण में कई अनियमितताएं पाई गई। चावल वितरण के लिए आवंटित चालानों को केंद्र बाजपुर से बड़े पैमाने पर बगैर तिथि, बगैर ट्रक नंबर अंकित किए ही जारी किया गया। जांच में कई वाहनों को वास्तविक रूप से गंतव्य स्थल तक जाना भी नहीं पाया गया। जांच निष्कर्ष में यह साफ लिखा गया कि चावल का मूवमेंट किए जाने के लिए मूवमेंट चालान के प्रावधान की प्रक्रिया का पालन नहीं हुआ। वरिष्ठ विपणन अधिकारियों ने राजनीतिक दबाव में प्रक्रिया का पालन नहीं करने की बात कही। उच्चाधिकारियों को इस मामले की जानकारी होने के बावजूद उन्होंने कोई कदम नहीं उठाया।