कोई वीआईपी नहीं पहुँचा चंद्रास्वामी के अंतिम संस्कार में

नई दिल्ली। विवादास्पद तांत्रिक चंद्रास्वामी के पार्थिव शरीर का आज यहां निगमबोध घाट में अंतिम संस्कार कर दिया गया। एक समय में काफी ताकतवर रहे तांत्रिक को शांतिपूर्ण तरीके से अंतिम विदाई दी गयी। चंद्रास्वामी के साथ करीबी रूप से जुड़े रहे दिवंगत प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के बेटे नीरज शेखर, उनके भतीजे और प्रशंसकों के साथ अंतिम संस्कार में शामिल हुये। चंद्रास्वामी का मंगलवार को 66 वर्ष की उम्र में दिल्ली के एक अस्पताल में निधन हो गया था। एक समय जिस ताकतवर तांत्रिक के दोस्तों में प्रधानमंत्री, कई राज्यों के मुख्यमंत्री और कई देशों के राजा-महाराजा, प्रमुख राजनेता और हॉलीवुड के कलाकार शुमार थे उनके अंतिम संस्कार में आज कोई प्रमुख व्यक्ति मौजूद नहीं था।

चंद्रास्वामी को दिवंगत प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव का करीबी माना जाता था और जैन आयोग ने राजीव गांधी की हत्या की साजिश रचने और इसके लिए आर्थिक सहायता मुहैया कराने में उनकी कथित भूमिका की जांच की थी। चंद्रास्वामी का विवादों से चोली दामन का साथ रहा। वह इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की सरकार में मंत्री रहे नरसिम्हा राव के करीबी थे और उनका सितारा उस वक्त बुलंदी पर जा पहुंचा जब राव प्रधानमंत्री बने। इसके तुरंत बाद चंद्रास्वामी ने दिल्ली के कुतुब इंस्टीट्यूशनल इलाके में विश्व धर्मायतन संस्थान नामक आश्रम बनाया। बताया जाता है कि आश्रम के लिए यह जमीन इंदिरा गांधी ने आवंटित की थी। चंद्रास्वामी का असली नाम नेमी चंद जैन था और उनका दावा था कि उन्होंने ब्रूनेई के सुल्तान, बहरीन के शेख ईसा बिन सलमान अल खलीफा, अभिनेत्री एलिजाबेथ टेलर, ब्रिटिश प्रधानमंत्री मार्ग्रेट थैचर और हथियार कारोबारी अदनान खशोगी समेत कई नामचीन हस्तियों को आध्यात्मिक सलाह दी थी। उनके आश्रम पर पड़े छापे में कथित तौर पर खशोगी को लाखों डालर की अदायगी करने वाले मूल दस्तावेज बरामद हुए थे। खशोगी एक बड़े हथियार घोटाले का मुख्य दलाल था। इसके अलावा रिपोर्टों के अनुसार अपने ‘नो नानसेंस’ रूख के लिए जानी जाने वाली थैचर भी उनके आध्यात्मिक प्रवचन से इतना प्रभावित हुई थीं कि उन्होंने चंद्रास्वामी के साथ 1975 में एक बैठक की थी।
मार्ग्रेट थैचर चंद्रास्वामी की ‘शक्तियों’ से इतनी प्रभावित थीं कि ब्रिटेन की प्रधानमंत्री बनने के बाद उनसे दूसरी मुलाकात में उन्होंने चंद्रास्वामी के अनुरोध पर लाल रंग का खास परिधान पहना था और अपनी कलाई पर ताबीज भी बांधा था। मई 2009 में, भारत के उच्चतम न्यायालय ने चंद्रास्वामी को विदेश जाने की इजाजत दे दी थी। राजीव गांधी हत्या मामले में कथित रूप से शामिल होने के चलते चंद्रास्वामी के विदेश जाने पर पाबंदी लगी हुई थी।
जून 2011 में फेरा उल्लंघन मामले में शीर्ष अदालत ने चंद्रास्वामी पर नौ करोड़ रूपये का जुर्माना लगाया था। जैन पैनल ने राजीव गांधी की हत्या के मामले समेत कई मामलों में चंद्रास्वामी की भूमिका की आगे जांच की सिफारिश की थी लेकिन ऐसा हो नहीं हो सका क्योंकि पैनल को वर्ष 1998 में जांच बंद करनी पड़ी।

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