आस्था अर अंध बिस्वासाम फरक . . .

एक सत्संग कार्यक्रम मची भगदड़ म सौ से जादा मनखि म्वोरि ग्यींन। या झंजोड़न वलि या घटना हाथरस क सिकंदराराऊ क फुलरई गौं व ह्वे जब साकार हरि बाबा उर्फ भोलेबाबा एक सत्संग समारोह बिटि वापिस जाणा छायीं। बाबा जब सत्संग बिटि जाणा छायीं तब लोग बाबा क खुट्टा छुणा की कोसिस करणा छायीं तबि भगदड़ ह्वेग्ये।

बतै जाणु च कि बाबाक कार्यक्रम म 80 हजार लोगु औंणा उमेद छायीं पर यां से जादा लोग सत्संग मा पौंछ्या छायीं। अर लोगुक भिभड़ाट तैं देखिकि पुलिस प्रशासन कु क्वीं इंतजाम नीं छायीं। 80 हजारी लोगु क मंजूरी अर 80 हजार से जादा लोग जमा छायीं। यामा सबसे जादा झकोलण वलि बात च कि इतगा मनखियों सु सुरक्षा कु बन्दुबस्त खूणि सिरफ अर सिरफ 80 पुलिस वला छायीं। बतै जाणु च सत्संगा तय्यरि 15 दिन पैलि बिटि चलणि छायीं। बाबा कु आशीर्वाद लिंणा खूणि लोग बाबा क नजीक जाणा छायीं अर एक दुसर तैं धक्का दिंणा छायीं तबरि सेवादार न डंडा दिखै की भीड़ तै रवक्णा कोसिस कायी त भिभणाट मचिग्ये अर लोग एक दूसर पर गिण्डमिण्ड हूंण बैठिग्येन अर लोग हाईवे क छाल बण्यां खड्वळों मा एक दुसरा ऊंद लमडण बैठिग्येन। जब लोग एक दूसर पर लमडणा छायीं त बाबा अपणि गाड़ी म बैठिकि भीड़ बिटि निकलिग्ये अर फुर ह्वेग्ये। अब बाबा कख ग्ये अबि तक कैथैं क्वी पता नीं च।

नजै बाबा क खूंटौं मा प्वणणा खूणि लोगुन अपणि जिन्दगि दाव पर लगै दे, वे बाबान ऊंकी जरा बि परवा नी कायीं अर वखम बिटि फुर ह्वेग्ये।

नारायण साकार हरिनाम जैथैं विश्व हरि बि ब्वलें जांद। वे बाबा कहाणि बि मजदार च। बाबा नारायण साकार हरिनाम बाबा कु असली नौं सूरजपाल जाटव च। सूरजपाल कासगंज जिला क पटियाली क बहादुरपुर गौं कु रैंण वलु च। बाबा पैलि उत्तर प्रदेस पुलिस म छायीं अर बत्यें जान्द की बाबान वीआरएस ल्यायी पर सच बात या च कि बाबा तैं ब्यटुळा दगड़ि छेड़िक मामला म सिकैत दर्ज ह्वे। जेल बिटि छुटणा बाद अर पुलिसा नौकरि बिटि निकले जाणा बाद बाबा साकार विश्व हरि बणि अर सत्संग करण लगिग्ये।

उत्तरप्रदेश क अलावा कै हौरि प्रदेसु म बि बाबा का च्याला छन। जौमा जादा दलित अर पिछड़ि जातिक लोग छन। सफेद सूट म बाबा अपणि घरवळि क दगड़ि बैठिकि लोगु तैं प्रवचन देंदु।

अब बडु सवाल च कि ऐ वैज्ञानिक जमना म इन्न बाबा कनुकैकि पैदा ह्वे जन्दन अर यु बाबौं कु मायाजाळ कु गणित क्य च? आज अमीर-गरीब सबि यु का माया जाळ मा फस्यां छन। त यांकु जवाब च कि अज्काल कु जमनु, आज लोगु खूणि सुख सुविधा कु महत्व जादा ह्वेग्ये। सबि मनखि कम बगत म बिन्डि पैंसा, अपणि पिड़ा अर बिमरि तैं दूर करणा खूणि यु बाबौं कु फेर म पोड़ि जन्दन। आज छ्वटि-छ्वटि कुटुम्दिर छन। आज कुटुम्दरि म दद्दि-दद्दौं कु क्वी जगा नीं च। कुटुम्दरि मतलब द्वी मनखि अर द्वी बच्चा। यीं कारण च अज्काल सबि कुटुम्दरि म एंकुलांस अर दिक्कत जादा च। यीं कारण च सबि दिक्कतु से छुटकारा पाणा खूणि बाबाैं क चक्कर म ऐ जन्दिन। हमरि दिक्कत त कबि दूर नीं हूंदि पर बाबौंक मजा ऐजन्दिन।

दुसराैं तैं ‘क्य लेकैकि ऐ छायीं, अर ‘क्य तुमन यीं दुन्या बिटि लिजाण’, ‘खाली हत्थ ऐ छायीं अर ‘खाली हत्थ जाण’, ‘मोह माया सब बेकार च’। इन्न उपदेश देंण वला बाबा आज करोडु रुप्यौं क मालिक छन, बड़ा-बड़ा घौरुम रैंणा छन अर बड़ी-बड़ी गाड़ियु म घुमणा छन। अप्फु तैं स्वयंभू बतौंण वला बाबा त अपणु धंधा चलौंणा छन। यीं स्वंयभू ढोंगी बाबा हमर देस अर सनातनी परम्परा तैं कलंकित करणा कु काम करणा छन। अर या खूणि दोषी यीं बाबा ही नीं छन बल यांकु दोषि हमरु भटक्यूं समाज बि च। या बात हमतैं समझण प्वाड़लि की क्वीं बि स्वयंभू बाबा कनकैकि ह्वे सकदू। या बात मनखि तैं समझण चैंद, जु इन्ना पाखंडी बाबौं क माया जाळ अर अधंविश्वास फस्यूं छन।

अब बडु सवाल यो च कि इन्न स्वयंभू बाबाऔं से सनातन संस्कृति अर जिन्दगिक मूल्यों तैं कनै कै कि बचये ज्यां। त आज हमतैं सबसे पैलि आस्था अर अंध बिस्वासा बीच कु फरक तैं समझण प्वाड़लु।

जिन्दगि जिंणा खूणि आस्था पर भरोसु रखण जरुरी च। बड़ा-बड़ा डॉक्टर, वैज्ञानिक, सबि आस्था म भरोसु करदन। जब हम मंदिर जैकि भगवान पर बिस्वास कैकि पूजा करदो त हमरा ज्यूं तैं शांति मिलदि या आस्था च। यांका बाद बि हमतैं अपणि दिक्कत तैं दूर करणा खूणि कर्म करण प्वाड़दु। आस्था हमर भितर बिस्वास पैदा करद। अर बिस्वास हमर कामु तैं सफल बणांद। अर बाबा क आशीर्वाद से, बाबा के सेवा से, बाबा तैं रुप्या चढ़ै की, बाबौं क बात पर बिना सोचि समझिकि बिस्वास करणु, जाणि बूझिकि बाबा की हां मा हां मिलौंणु अर बाबाक आशीर्वाद से हमरि सबि पिणा दूर ह्वे जाली, यु अंध बिस्वास च।

अब या बात त हाथरस घटना बिटि समझम ऐ जाण चैंद की यीं बाबा हमतैं अपणि झूठि माया जाळ म फंसै की हमरि भावना क दगड़ि छल कैकि अपडि रवट्टि तपौणा (सेंकना) छन। हमरु भरोसु त भगवान पर हूंण चैंद, भगवान त सब्यौं कु च, अर भगवान कबि कैकु बुरु नीं कै सकदु।

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