कल्पेश्वर महादेव
समोद्र बिटि 2134 मीटर ऊंचै पर कल्पगंगा घाटीम कल्पेश्वर महादेव पंच केदारु म एक च। जु पूरण जमना मा हिरण्यवतीक नाैं से जणै जान्दु छायीं।
कल्पेश्वर म एक उड्यार च। जैका भितर स्वयंभू शिवलिंग विराजमान च। ब्वलें जांद कि यख शिवजी का लटुला परकट ह्वे छायीं। इल्लै यख शिवजीक लटुलौं क पूजा करे जांद। इल्लै भगवान शिव तैं जटाधर अर जटेश्वर बि ब्वलें जान्द।
यु मंदिर अनादिनाथ कल्पेश्वर महादेव क नाम से जणै जान्द। मंदिरा नजीक कलेवर कुण्ड च।
कल्पेश्वर मंदिरम जाणा खूणि एक किलोमीटर उड्यार पुटग जाण प्वाड़दु। यख पौंछिकि जातरी भगवान शिव लटुलों के पूजा करदन।
ब्वलें जान्द कि यु मंदिर पांडवोंन बणैं छायीं। महाभारत क लड़ै जितणा बाद, पांड़वों तैं लड़ै म अपणा भै बन्धौं तैं मरणा कु बौत दुख ह्वै अर ऊतैं इन्नु लगि की हमतैं हत्या कु पापा लगिग्ये। ये पाप से मुक्त हूंणा खूणि पांडवों न भगवान शिव क दर्शन करण खूणि जातरा कायी। पंच्या पांडव पैलि काशी पौंछिन अर भगवान शिवाक आशीर्वाद उमेद कायी पर भगवान शिवन ऊतैं यख दर्शन नीं दे। पांडवों पर कुल हत्या कु दोष छायीं जै कारण से भगवान ऊतैं दर्शन नीं देंण चाणा छायीं। तब भगवान क दर्शना उमेदम पांडव केदारा तरफा चलिग्येन। पांडवों तैं देखिकि भगवान शिव झट गबै ह्वेग्येन। भगवानन बल्द कु रुप धारण कायी अर हौरि गोरु क बीच म चिलिग्येन। भीम या बात समझिग्येन अर तब भीमन द्वी पाडु़ पर अपड़ा खुट्टा धैरि दींन, भीमा खुट्टौं क निस बिटि सबि गोर निकलिग्येन पर शिव रुपी बल्द भीमा खुट्टौं तक ताळ बिटि जाणा खूणि त्यार नीं छायीं। तब भीमन बल्द तैं पकड़ा कोसिस कायी, जन्नि बल्द भ्वां म अंतर्ध्यान हूंणा कोसिस कायी, त भीमन बल्दा तीक तैं पकड़ि दे।
भगवान शिव तीक (पीठ) क पूजा पिंड रुप म केदारनाथ म करे जान्द। इन्न ब्वलें जान्द कि भगवान शिव धड़ कु मत्थी कु भाग काठमांडू क पशुपातिनाथ मंदिर म, भगवान शिवा भुजा तंुगनाथ, नाभि मदमहेश्वर म, मुख रुद्रनाथ म अर लटुला कल्पेश्वर म प्रकट ह्वे।