मेरि चिंता त कुछ हौरि च . . .
UK Dinmaan
लोकसभा चुनौ म छै चरण कु चुनौ खतम ह्वेग्ये। अब बस एक हौरि चरण कु चुनौ बच्यूं च। लोकसभा चुनौ 2024 हिन्दु-मुसलमान, मंगलसूत्र मटन-मछली, लोगु क जैदाद तैं लुच्छिकि, वु लोगु तैं बंटे जालि, जौका बौत जादा बच्चा छन, जु घुसपैठिया छन। नै भारत भितर जैकि मरदु, चुड़ी पैरैं द्यूला। जन्ना बयानु क् बाद अब पाकिस्तान मा सपा अर कांग्रेसा जीत खूणि दुआ मंगे जाणि च, सीमा पार बिटि जिहादी मदत करणा छन, सपा-कांग्रेस बोट जिहादा अपील करणि च, इन्न बयानु तक पौंछिग्ये। यु क्वीं हौरि न देसा प्रधानमंत्री ब्वना छन।
प्रधानमंत्री संविधान तैं सबि कुछ बतौंणा छन अर ब्वना छन मोदी खूणि बाबा साहब कु भावना पैलि च। इंडिया गठबन्ध वाळों तैं अपणु बोट बैंका गुलामी करण त कर्यां। वख जैकि मुजरा करण त कर्यां। मि बिहार, एससी/एसटी/ ओबीसी क दगड़ि खडु छौ, अर जब तक ज्यूंद छौ ऊंकु अधिकारी कैतैं नी लुच्छण द्यूलु।
इन्न मा या बात कतै समझम नीं आणि च यु चुनौ कख अर कैका बीच हूंण च। चुना राजनैतिक दलु बीच हूंण च या फिर हिन्दू-मुसलमानु या फिर हिन्दुस्तान पाकिस्ताना बीच हूंणू च।
कांग्रेस, सपा अर बसपा क मुण्ड मा हि कै खास धर्मा क राजनीति करणा कु अरोप लगदु। त दूसर तरफि प्रधानमंत्री ब्लदन कि मैं हिन्दु-मुसलमानु क राजनीति नीं करदु अर जै दिन मि करलु, अर जै दिन करलु , त वै दिन हि राजनैतिक जिन्दगी बिटि संयास ले ल्यूलु।
अब यु त प्रधानमंत्री ही बतै सकदन की अपणि रैली म बोट जिहाद, मुजरा जन्न शब्दु किलै ब्वलिन। इंडियन एक्सप्रेस न अबि बतै कि 15 मई तक मोदी चुनौवी रैली म 111 भाषण दींन जैमा 60 प्रतिशत से जादा बार मुसलमानु पर हमला करै ग्यायी।
इतगै हि ना बल प्रधानमंत्री एक साक्षात्कार मा पैलि ब्वना छायीं कि ‘सैद मेरि ब्वै न मितैं जनम द्यायी’। अब ‘सैद’ कु मतलब क्य च मेरी समझ मा त कतै नीं ऐ। त दूसर जगा म ब्वदन कि जब तक मेरि ब्वै ज्यूंदि छायीं त मितैं लगदु छायीं कि मेरी ब्वै न मितैं जनम द्यायी, पर ब्वैै क जाणा बाद अपणा तजुर्बा से मितैं इन्नु लगणु च कि म्यारु जन्म जैविक नीं ह्वे। मितैं भगवान न भारत माता सेवा करणा खूणि भेजि। विकसित भारत 2047 कु लक्ष्य बि भगवान हि मितैं द्यायीं अर जब तक यु पूरु नीं ह्वे जालु, भगवान बि मितैं वापिस नीं बुलालु।
अब इन्न दैव्य प्रधानमंत्री जैकु जन्म जैविक तरीकान नीं ह्वे। जैतैं भगवान देसा भलै खूणि अवतरित कायी। अर जु भगवान तैं बि चुनौती देंणु च अर ब्वनु च जब तक म्यारु लक्ष्य पूरु नीं होलु तब तक यु मितैं नीं बुलालु। अब तुम क्य स्वचदौ अर ब्वलदो, फैसला तुमरू हि कारा।
पैलि त मि प्रधानमंत्री से असहमत हूंदू छायीं। मछली-मटन , रुजगार मैंगै, मुजरा पर प्रधानमंत्री से सवाल जवाब कै सकदु छायीं। पर अब जब बिटि प्रधानमंत्री न बोलि की मेरु जनम जैविक तरीका न नीं ह्वे अर मितैं भगवान अवतरित कायी। जु भगवान तैं बि चुनौती देंणु च अर ब्वनु च कि जब तक म्यारु लक्ष्य पूरू नीं ह्वे जालु भगवान बि मितैं नीं बुलालु। अब इन्न दिव्य प्रधानमंत्री से सवाल पूछणैं मेरि त कतै हिकमत नीं च अर ना दिव्य प्रधानमंत्री से सवाल पूछै जै सकदु अर ना हमतैं पूछण चैंदन।
हां अब मेरी चिंता सवाल नीं च। मेरी चिंता त यीं बातिक च कि प्रधानमंत्री अप्फु तैं अफि भगवान समझणा बैठिग्येन, मेरी चिंता यीं बातिकि च कि प्रधानमंत्री अकबक हूंया छन, मेरी चिंता यीं बातिकि च कि प्रधानमंत्री भूलि ग्येेंन कि लोकतंत्र जनमत से चलदु, विश्वास से चलदु न कि दिव्य तागत न चलदु। मेरी चिंता अवतरित आदिम से नीं च, मेरी चिंता च अवतरित आदिमा खळाखळ गिरण भाषा कु स्तर से च। चुनौ क अबि कुछ हौरि दिन बच्यां छन। इन्न मा या भाषा कतगा निस तक जालि अबि ब्वलें नीं जै सकदू। अर बड़ी चिंता च यीं बातिकि च कि 30 मई बाद जब भाषण देंणा बन्द ह्वे जालु तब क्य होलु?
अब तुम तैं त 4 जूना जग्वाल होलु, यांकि चिंता होलि कि कु चुनौ कु जितदु अर कु हरदु। पर मेरि चिंता त कुछ हौरि च, मितैं त अब बस या चिंता सतौंणि च 30 मई कब आली, कब यीं जैरीला भाषण बंद होला।