बोट बैंका राजनीति च बस, हौरि कुछ ना . . . !

देरादूणम निकास चुनौ से पैलि एकदा दुबरा 524 घौरु पर बुलडोजर चलण कु खतरा पैदा ह्वेग्ये। रिस्पना नदी क छाल पर रिवर फ्रंट योजना क त्यारि सुरु करे जाणि च। निगमा जमीन अऱ मसूरी विकास प्राधिकरण क जमीन मा अवैध कब्जा कैकि बणयां घौर पर बुलडोजर चलौंणा त्यारि च।

साल 2016 क बाद रिस्पना क छाल पर बणि बस्तियों तैं 30 जून तक हटौंण नौटिस नगर निगम न भेजि याली। नोटिस कु विरोध देरादूण स सुरू ह्वेग्ये अर राजनीतिक दल हि ना बल सामाजिक संगठन बि विरोध करणा छन।

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल क तरफि बिटि 3 जून 2024 तक अतिक्रमण हटौंणा आदेश छन। जै खूणि नगर निगम न रिस्पनाक छाल 27 बस्ती म 524 घौरु तैं अवैध बतै। नैनीताल हाईकोर्ट आदेश बाद हि यु बस्तियों तैं हटौंणा आदेश बाद खतरा ह्वेग्ये छायीं। प्रदेस सरकारन साल 2018 म उत्तराखण्ड (नगर निकायों अर प्राधिकरणों खूणि साख) अध्यादेश 2018 लेकैकि ऐ छायी। वां से तीन सालु खूणि बस्तियों तैं त्वड़ा कु खतरा खतम ह्वेग्ये छायीं। अब ऐ आदेश तारिख खतम हूंणि च। त दूबरा यु बस्तियों तैं बचौंणा कु काम सुरू ह्वेग्ये।

अब यखम बडु सवाल हि यों च कि जब द्वी हजार सौलह (2016) बाद बण्यां घौर/बस्तियों पर कारवै होलि त 2016 से पैलि बणि बस्ती पर कारवै किलै ना? जबकि सबि मलिन बस्ती सरकरि जमीन पर कब्जा कैकि बणि छन। इन्न म आखिर क्य कारण च, वु बस्तियों तैं बचौंणा खूणि सबि राजनैतिक दल एक दगड़ि खड़ा ह्वे जन्दिन। साल 2018 म जब हाईकोर्ट न बस्तियों तैं त्वणा आदेश दे त कांग्रेस सरकार यु का बचाव मा ऐग्ये अर भाजपा अध्यादेश लेकैकि ऐग्ये। अब जब दूबरा नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल क तरफि बिटि 3 जून 2024 तक अतिक्रमण हटौंणा आदेश छन। त कांग्रेस बस्ती बचौंणा खूणि खड़ी च आखिर किलै?

त दूसर सवाल यौं च जन्नि प्रदेसम निकाय चुनौम हून्दन, यु मलिन बस्ती कु मुद्दौ ज्यूंद ह्वे जान्द किलै?

साफ च कि या बोट बैंक राजनीति च हौरि कुछ ना।

चौछ्डि पाड़ से घिर्यु देरादूणा अपणि अगल हि पछ्याण छायीं। उत्तराखण्ड बणण बाद आज देरादूण खळाखळ बढदै जाणि जनसंख्या क बोझन कणाणु च। रिस्पना, बिंदाल, आसन, सौंग अर टोंस नदी जु कबि देरादूणा सान हूंदि छायीं। वु आज अपणि छाती म बणणि झुग्गी-झोपड़ियोंन अकबक हूंयी छन। रिस्पना अर बिंदाल कु अस्तित्व हि खतम ह्वेग्य। आज रिस्पना अर बिंदाल द्विया त गंदा नाळा बणिग्येन।

या बात सै च कि सबि मजबूरी म काम वास्ता देरादूण औंदन। झुग्गी-झोव्पणि तक क सब ठीक च, पर जौ लोगुन झुग्गी क नौं पर पक्का मकान बणै यलिन, वु कु जांच बौत जरूरी च। यीं कु लोग छन, कख बिटि अयां छन। राजनैतिक दल अपणा बोट बैंक खूणि उंकु इसतमाल करदन। पैलि झुग्गी अर तब मट्ठु-मटठु कैकि सर्या बस्ती बसी जांद। राजनैतिक दल अपणा बोट बैंका खातिर यु तैं नदी छाल बसौंणा पूरि मदत करदन।

आज जौ तैं अवैध ब्वलें जाणु च उंका वख राशन कार्ड, पछ्याण पतर बणया छन। यीं अवैध बस्तीम सड़क, नाली, स्कूल, पाणि, सीवर लाईनें जन्नि सबि सरकरि सुविधायें छन। यु बस्तियों म नगर निगम, पीडब्ल्यूडी, सिंचाई विभाग, एमडीडीए, जल निगम, विद्युत विभाग, पार्षद निधि, विधायक निधि बिटि सर्या विकासा काम हूयां छन। यीं वु बडु सवाल च कि जब बस्ती अवैध हर सरकरि जमीन मा कब्जा कैकि बणयीं छायीं त, वीं बस्तिम विकासा काम किलै करे ग्येन? आखिर यांकु दोषि कौच?

अब जब नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल क तरफि बिटि 3 जून 2024 तक अतिक्रमण हटौंणा आदेश छन। त पैलि कारवै त एमडीडीए अर नगर निगमा अधिकारी पर हूंण चैंद जौ क कांधो पर सरकरि जमीन मा अवैध कब्जा रवकणा जिम्मेबरि छायीं। जब सरकरि जमीन मा कब्जा हूंणा छायीं तब एमडीडीए अर नगर निगमा जिम्मेबार अधिकारी कख सियां छायीं। वैका बाद वै जिम्मेबार अधिकारी पर कारवै हूंण चैंद, जौ न यु अवैध बस्ती म बिजली-पाणि कनेक्शन दींन। यांका बा यु पार्षदु, विधायकु अर सांसदु पर जौ न यु अवैध बस्तियों म पुस्ता बणै, सड़क बणै, सीवर लैन डालि।

अवैध बस्ती बसौंणा कु सबसे बड़ा गुनागार वु लोगन नीं छन जौ न वख कब्जा कै कि पक्का मकान बणै। यांकु सबसे बडु जिम्मेबार त हमरू सरकरि सिस्टम च। जब सरकरि जमीन मा कब्जा हूंण छायीं तब सिस्टमन अपड़ा आंखा बुझयां छायीं किलै। यांकु जवाब कु देलु।

हरान करण वलि बात च की सबि राजनैतिक दल मलिन (अवैध) बस्ती बचौंणा खूणि सबसे अगनै खड़ा छन आखिर किलै? त यांकु जवाब च बोट बैंक। निकाय चुना से पैलि या सिरफ बोट बैंक राजनीति। सबि जणदा छन कि आखिर म हूंण कुछ नीं। सबि जणदा छन कि मलिन बस्ती बौत बडु बोट बैंक च। यु राजनैतिक दलु तैं क्वीं मतलब नीं च यीं लोग कु छन, कख बिटि ऐकी युन यख बड़ा-बड़ा मकान बणै। प्रदेसा जमीन म कब्जा ह्वेग्ये यांकी कै बि राजनीतिक दलु तैं क्वीं चिंता नीं च, हां चिंता च युंका मकान नीं टुटण चैंद, चिंता च बोट बैंका कि बचौंणा की बस।

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