रोज ‘ख्वले’ अर ‘बन्द’ करे जन्दिन भगवान बदरीनाथ द्वार
यु त सब्यौं तैं पता च कि भगवान बदरीनाथ क पाट छै मैना बन्द रैन्दन पर या जाणकारी बौत कम लोगु तैं च कि जातरा म बि बदरीनाथ धाम पाट सदिन सुबेर खुलदन अर रातिम बन्द हूंदन। रात्रि जब पाट बंद करै जन्दिन त वै बगत एक ना बल तीन ताळा लगै जन्दिन अर दूसर दिन ख्वलें जन्दिन।
ताळौं तैं ख्वलणा अर बन्द करद दा मुहूर्त कु खास ध्यान धरै जान्द अर विधि-विधान दगड़ि करे जन्दिन। ये काम मा हक-हकूकधारियौं क सबसे बडु काम हून्द।
बदरीनाथ धाम पाट ख्वलण की अपणि मान्यता च। पूरणि रीति-रिवाजानुसार रूड़ि क मैनौं मा भगवान बदरीनाथ पाट खुलदन अर ह्यूंदा मैना म छै मैना खूणि बन्द रैन्दन। मंदिरा पाट बन्द हूंणा बगत मंदिर पर तीन ताळा लगै जान्द। जैमा एक ताळु मंदिर समिति कु, त एक ताळु हक हकूकधारी ‘मेहता थोक’ व ‘भण्डारी थोक’ कु हून्द।
रूड़ियों म जब मंदिरा पाट ख्वलें जान्दन त पाट ख्वलण से पैलि बदरीनाथ मंदिरा सिंहद्वार क अगनै सभा मंडप क मुख्य द्वार पर भगवान श्री गणेश अर भगवान श्री बदरी विशाल कु आह्वान करै जान्द।
मंदिर क धर्माधिकारी अर वेदपाठ जौ चाबी न मंदिरा द्वार पर लग्यां ताळौं तैं ख्वलें , पैलि ऊ चाबी क पूजा करदन। पैलि ताळु टिरी महाराज क राजगुरु नौटियाल ख्वलदन। वैका बाद मंदिरा हक-हकूकधारी ‘मेहता थोक’ अर ‘भण्डारी थोक’ क लोगु ताळु ख्वलदन। द्वारा खुलण से पैलि जौ चाबियौं क पूजा करै जान्द , वैमा गर्भ गृह क द्वार पर लग्यां ताळा चाबी मंदिर प्रबंधन डिमरी पुजारी भितला बड़वा तैं दियें जान्द अर गर्भ गृह कु ताळु भितला बड़वा ख्वलदन। गर्भगृह क द्वार खुलण बाद भगवान बदरीनाथ पाट छै मैना खुलि जन्दिन। भगवान बदरीनाथ द्वार खुलणा बाद वख अयां भक्त भगवान बदरीनाथ क अखण्ड ज्योति क दर्शन करदन।
यांम खास बात या च बल भगवान बदरीनाथ द्वार खुलण बाद सर्या जातरा काल मा बि सदनि रातिम मंदिरा द्वार पर तीन ताळा लगै जन्दन अर सुबेर शुभ मुहूर्त पर ख्वलें जान्दन। जब तक मंदिरा पाट ह्यूंद खूणि बन्द नी ह्वे जन्दिन तक इन्न सदनि हून्द।